tirupati darshan गैर हिन्दूो के लिए देना होता हे घोषणापत्र

tirupati darshan –तिरुपति लड्डू contrevercy के चलते घोषणा पत्र का मुद्द्दा भी काफी चर्चा में है।

tirupati darshan गैर हिन्दूो के लिए देना होता हे घोषणापत्र

tirupati darshan गैर हिन्दूो के लिए देना होता हे घोषणापत्र तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर-

तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर, हिंदू धर्म के सबसे प्रतिष्ठित और पवित्र मंदिरों में से एक है, जो अपनी गहरी परंपराओं, आध्यात्मिक शुद्धता और हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के लिए जाना जाता है। हालांकि, गैर-हिंदू भक्तों के लिए ‘दर्शन’ की प्रक्रिया में एक अतिरिक्त चरण शामिल है, जो एक औपचारिक घोषणा प्रस्तुत करने से जुड़ा है।

कब से हुई थी शुरवात-

1990 के दशक में धार्मिक बंदोबस्ती अधिनियम 30/1987 के तहत इस नियम को आधिकारिक रूप से तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के विनियमों में नियम 136 के रूप में शामिल किया गया। इसके अनुसार, गैर-हिंदू भक्तों को दर्शन से पहले वैकुंठम कतार परिसर में घोषणा पत्र जमा करना अनिवार्य है।

इस नियम की जड़ें 19वीं सदी के ब्रिटिश शासनकाल से जुड़ी हैं। ऐतिहासिक रूप से, कुछ हिंदू समूहों ने गैर-हिंदुओं के मंदिर में प्रवेश को लेकर चिंता व्यक्त की थी। इस चिंता को दूर करने के लिए ब्रिटिश प्रशासन ने यह व्यवस्था लागू की। जब दूसरे धर्मों और देशों के लोग तिरुमाला में दर्शन के लिए आने लगे, तो इस कदम का उद्देश्य मंदिर की धार्मिक पवित्रता की सुरक्षा करना था। तब से यह घोषणा प्रक्रिया एक औपचारिक नियम के रूप में विकसित हो गई।

tirupati darshan गैर हिन्दूो के लिए देना होता हे घोषणापत्र तिरुमाला में घोषणा प्रणाली क्या है?

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घोषणा प्रस्तुत करने की प्रक्रिया-

tirupati darshan में आने वाले गैर-हिंदू भक्तों को एक औपचारिक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करना होता है, जिसमें वे भगवान वेंकटेश्वर का सम्मान और मंदिर की प्रथाओं का पालन करने का वचन देते हैं। यह घोषणा पत्र आमतौर पर वैकुंठम laine परिसर के 17वें डिब्बे में जमा किया जाता है। दर्शन के लिए आगे बढ़ने से पहले यह कदम गैर-हिंदू भक्तों के लिए अनिवार्य है।

हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों के मामले में, जैसे वीआईपी और राजनेताओं के लिए tirupati darshan टीटीडी के अधिकारी हस्ताक्षरित घोषणा पत्र लेने के लिए उनके आवास पर भी जाते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी नियमों का पालन किया जाए।

घोषणा विवाद-

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जिन्होंने tirupati darshan की अपनी यात्रा के दौरान घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे. वही दूसरी और 2006 में तब विवाद खड़ा हुआ जब कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने मंदिर का दौरा किया लेकिन उन्होंने घोषणा पत्र प्रस्तुत नहीं किया, जिससे विवाद छिड़ गई.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी उन्होंने कई बार तिरुमाला का दौरा किया है, लेकिन उन पर आरोप है कि उन्होंने दर्शन के दौरान घोषणा पत्र प्रस्तुत नहीं किया

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