Begging Ban In Indore: भिखारियों पर प्रतिबंध लगाने के पीछे की कहानी!

Begging Ban In Indore: भिखारियों पर प्रतिबंध लगाने के पीछे की कहानी!

Begging Ban In Indore: भारत का स्वच्छतम शहर इंदौर एक बार फिर से चर्चा में है, लेकिन इस बार सफाई के लिए नहीं, बल्कि भिखरीयों पर प्रतिबंध लगाने के लिए। हाल ही में इंदौर प्रशासन ने एक नई पहल की घोषणा की है, जिसके तहत शहर में भिखरीयों को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाएगा।


कबसे लग रहा है यह बैन?

Begging Ban In Indore: 1 जनवरी 2025 से भिखारियों को पैसे देने वालों पर FIR दर्ज होगी। केंद्र सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के तहत इंदौर को भिखारी मुक्त बनाने की कोशिश हो रही है। जिला प्रशासन ने भिक्षावृत्ति पर पहले ही रोक लगा दी है।

Begging ban in indore: भिखारियों पर प्रतिबंध लगाने के पीछे की कहानी!

यह अभियान 10 शहरों में चलाया जा रहा है। प्रशासन ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे भी किए हैं। एक संगठन भिखारियों को छह महीने तक आश्रय और काम दिलाने में मदद करेगा।


1 जनवरी की शुरुआत क्यों?

Indore Beggar: नया साल अक्सर नई शुरुआत का प्रतीक होता है। 1 जनवरी से इस योजना को लागू करने का उद्देश्य यह है कि पूरे साल इस पहल को मजबूती से लागू किया जा सके और इसे प्रभावी तरीके से जन-जन तक पहुंचाया जा सके। इसके लिए प्रशासन ने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी हैं, जिसमें निगरानी, जनजागरूकता अभियान, और पुनर्वास केंद्रों की स्थापना शामिल है।


कलेक्टर आशीष सिंह ने क्या बताया

Indore Beggar Rule: कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि प्रशासन ने पहले ही इंदौर में भिक्षावृत्ति पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि भिखरीयों के खिलाफ हमारा जागरूकता अभियान इस महीने के अंत तक जारी रहेगा।

Begging ban in indore: भिखारियों पर प्रतिबंध लगाने के पीछे की कहानी!

1 जनवरी से अगर कोई भी व्यक्ति भीख मांगते पाया गया तो उसके खिलाफ भी FIR दर्ज की जाएगी। उन्होंने इंदौर के सभी निवासियों से अपील की कि वे भिखारियों को पैसे देकर इस पाप के भागीदार न बनें।


देश के कितने शहर पायलट प्रोजेक्ट में शामिल है?

Indore Bans Begging: भारत सरकार ने भिक्षावृत्ति रोकने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ शहरों को चुना है, जिनमें दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना अहमदाबाद और इंदौर भी शामिल है।

इन शहरों में भिखरीयों पर नियंत्रण लगाने के लिए प्रशासन ने ठोस कदम उठाए हैं, जैसे पुनर्वास, रोजगार के अवसर, और भिक्षावृत्ति करने वालों के लिए आश्रय गृह स्थापित करना। इन शहरों में पायलट प्रोजेक्ट को लागू करने के बाद इसका विस्तार अन्य शहरों में भी किया जा सकता है।(Beggars Ban In Indore)


भिखरीयों का पुनर्वास करने में किसका योगदान है?

Beggar Free Indore: इंदौर का भिक्षावृत्ति विरोधी अभियान सरकार की SMILE FOUNDATION (आजीविका और उद्यम के लिए हाशिए पर पड़े व्यक्तियों के लिए सहायता) का हिस्सा है। लोगों को सड़कों से हटाने के बजाय, SMILE उनका पुनर्वास करने पर लक्ष्य केंद्रित करता है।

Begging ban in indore: भिखारियों पर प्रतिबंध लगाने के पीछे की कहानी!

भीख मांगने में फंसे लोगों को अपना जीवन फिर से शुरू करने में मदद करने के लिए चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और नौकरी के अवसर प्रदान करता है। इसका लक्ष्य उन्हें सम्मान और स्वतंत्रता के साथ जीने में सक्षम बनाना है।


प्रतिबंध के मुख्य कारण

Indore News: Goverment Of India डेटा के हिसाब से भारत में 4,13,670 से भी ज़्यादा भिखारी है और बहुत सारे रिपोर्ट्स के मुताबिक़ जहापे गैंग या माफ़िया लोगों को भीख मांगने में मजबूर करती है। कई बार भिखरीयों के पास लाखों रूपये कैश में भी मिलते है। एक महिला तो ऐसी मिली जो भिक्षावृत्ति से 45 दिनों में 2.5 लाख कमा चुकी है।

भिखरीयों के कारण सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी फैलती है और यह शहर की छवि को खराब करती है। स्वच्छता और व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस प्रतिबंध की आवश्यकता महसूस की गई। प्रमुख चौराहों और सिग्नलों पर भिक्षावृत्ति करने से यातायात में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है।

कई बार यह पाया गया है कि बच्चों और बुजुर्गों को जबरदस्ती भिक्षावृत्ति में धकेला जाता है। इस प्रतिबंध से इन संगठित अपराधों पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। प्रतिबंध का उद्देश्य केवल भिक्षावृत्ति रोकना नहीं है, बल्कि इन लोगों को पुनर्वास केंद्रों में ले जाकर कौशल विकास और रोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना है।(Banned Begging In Indore)


भिखरीयों के पुनर्वास की व्यवस्था में मदद

Begging Banned In Indore: मध्य प्रदेश के सामाजिक कल्याण मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा ने कहा कि अगर लोग भिखारियों को पैसे देना बंद नहीं करेंगे, तो यह योजना पूरी तरह से सफल नहीं हो पाएगी। साथ ही, यह सुनना भी ज़रूरी है कि जिन लोगों को बचाया जा रहा है, उनके पुनर्वास की व्यवस्था ठीक से हो। उन्हें रोजगार के अवसर और रहने की उचित सुविधा मिलनी चाहिए।

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