Ayodhya Ram Mandir: भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण की शुरुआत के बाद अयोध्या में राम मंदिर की पहली वर्षगांठ यह एक ऐतिहासिक और पावन अवसर है। अयोध्या में पहली वर्षगांठ के लक्ष्य में 3 दिवसीय उत्सव का आयोजन आज से शुरू हो गया है। इस कायर्क्रम का शुभारंभ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे।
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वर्षगांठ आज क्यों? पर 22 जनवरी 2024 को हुई थी प्राण-प्रतिष्ठा
Ayodhya Ram Mandir: अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2025 को हुई थी लेकिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी।
इसलिए इस साल भी हिंदू कैलेंडर के तिथि को ही प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ के लिए चुना गया है। इस वजह से ही आज यानी 11 जनवरी शनिवार को प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ के लिए चुना गया है।
कैसे हुई आयोजन की शुरुआत?
Ram Mandir First Anniversary: आयोध्या में आज के दिन की शुरुआत शुक्ल यजुर्वेद के मंत्रों के साथ अग्निहोत्र से हुई सुबह 8 बजे से 11 बजे और फिर दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक विशेष पूजा आयोजित की गई। 3 बजे से 5 बजे तक मंदिर के भूतल पर ‘राग सेवा’ का आयोजन किया गया है। जिसके बाद शाम में शुभकामना गीत प्रस्तुत होगा।
इसके बाद 6 लाख श्री राम मंत्रो का जप और राम रक्षा स्तोत्र और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा। मंदिर के अंगद टीला में राम कथा, मानस प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया है।
क्यों ख़ास है यह द्वादशी?
Ram Mandir Anniversary: कुर्मा द्वादशी को ही पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के समय कुम्भ में अमृत को बाहर निकालने के लिए कच्छप (कुर्मा) का रूप धारण किया था। इस दिन व्रत और पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।
वही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने हवन किया था। जिसके बाद भगवान श्रीराम जी का जन्म हुआ था। इसलिए हिंदू धर्म में कुर्मा द्वादशी का खास महत्व है। यह द्वादशी तिथि साल में दो बार आती है, एक माघ मास में और दूसरी श्रावण मास में।
कैसे करें घर पर रामलला की पूजा?
Ram Mandir Anniversary 2025: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें। इसके बाद भगवान रामलला की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें। मूर्ति को स्थापित करने के बाद हाथ में जल, अक्षत (चावल) और पुष्प लेकर पूजा का संकल्प करलें।
इसके बाद पंचामृत से मूर्ति का अभिषेक करें, फिर स्वच्छ जल से स्नान कराएं। वस्त्र, यज्ञोपवीत, चंदन, अक्षत, पुष्प, माला आदि रामलला को अर्पित करें। फिर धूप और दीप जलाए। इसके बाद नैवेद्य अर्पित करके भगवान को भोग लगाएं। यह सभी होने के बाद अंत में रामलला की आरती करें और भगवान से परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। (Ram Mandir)
भगवान श्रीराम जी की आरती (Aarti Shri Ram Ji Ki)
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
शाम के समय में भगवान शिव की पूजा भी करें क्योंकि प्रदोष व्रत होने के प्रदोष व्रत होने के कारण। इस दिन आप व्रत रख के सात्विक भोजन करें। यह दिन भारत के गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक एकता का सजीव प्रमाण है। (Ram Mandir Ayodhya)
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