dhanteras kyon manaya jata hai- धनतेरस, जिसे “धन त्रयोदशी” के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
धनतेरस- समृद्धि और शुभता का पर्व
dhanteras kyon manaya jata hai- धनतेरस, जिसे “धन त्रयोदशी” के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। “धन” का अर्थ धन-संपत्ति से है, जबकि “तेरस” त्रयोदशी तिथि की ओर इशारा करता है। यह त्योहार केवल आर्थिक समृद्धि और स्वास्थ्य की प्रार्थना का दिन नहि है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। धनतेरस का त्योहार हिन्दू परिवारों में उल्लास, खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
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धनतेरस का पौराणिक महत्व
dhanteras kyon manaya jata hai- धनतेरस के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जो इस त्योहार के महत्व को और बढ़ाती हैं। इनमें सबसे प्रमुख कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। पुराणों के अनुसार, देवताओं और असुरों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय, धनवंतरि भगवान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धनवंतरि भगवान को आयुर्वेद के जनक के रूप में भी जाना जाता है, और यही कारण है कि धनतेरस को स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए भी विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन स्वास्थ्य और आयु की प्रार्थना करने की परंपरा है।
इसके अलावा, एक और लोकप्रिय कथा में बताया गया है कि एक बार राजा हिमा के पुत्र को ज्योतिषियों ने बताया कि उसकी मृत्यु सर्पदंश से होने की भविष्यवाणी है। उसकी पत्नी ने उस दिन उसे जागकर रखा और घर के द्वार पर सोने-चांदी के आभूषण और दिए जलाए। सर्प जब आया, तो उसे आभूषणों की चमक और दीयों की रोशनी ने अंधा कर दिया और वह उनके पुत्र को काट नहीं पाया। इस प्रकार से धनतेरस पर दीप जलाने और आभूषण खरीदने की परंपरा भी आरंभ हुई।
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- धनतेरस तिथि प्रारंभ: 29 अक्टूबर, सुबह 10 बजकर 31 मिनट से
- धनतेरस तिथि समाप्त: 30 अक्टूबर, दोपहर 1 बजकर 15 मिनट तक
इस समय के दौरान पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं और धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है। पूजा के दौरान भगवान धनवंतरि और कुबेर की आराधना करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
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dhanteras kyon manaya jata hai- धनतेरस के दिन घर में विशेष रूप से भगवान धनवंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है। इस दिन घरों को साफ-सुथरा करके सजाया जाता है, ताकि लक्ष्मी माता का स्वागत हो सके। लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं और दरवाजे के बाहर रंगोली बनाते हैं, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
धनतेरस की पूजा के दौरान, सबसे पहले भगवान धनवंतरि की प्रतिमा को दूध, जल, और पंचामृत से स्नान कराकर उनके सामने दीप, फूल, धूप और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। इसके बाद भगवान कुबेर की पूजा की जाती है, और उनसे घर में धन-धान्य और समृद्धि की कामना की जाती है। इस दिन तिल के तेल के दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है, जो बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
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आधुनिक संदर्भ में धनतेरस
dhanteras kyon manaya jata hai- समय के साथ-साथ धनतेरस के पर्व में भी कई परिवर्तन आए हैं। जहां पहले यह त्योहार सिर्फ सोने-चांदी के आभूषण और बर्तनों की खरीदारी तक सीमित था, वहीं आजकल लोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, गाड़ियों और अन्य महंगी वस्तुओं की भी खरीदारी करते हैं।
वर्तमान समय में, धनतेरस न केवल धार्मिक या पारंपरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका एक आर्थिक पहलू भी है। त्योहार के समय पर बाजारों में बड़ी रौनक होती है, और व्यापारिक दृष्टि से भी यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। खुदरा विक्रेता और बड़े-बड़े ब्रांड्स इस अवसर का लाभ उठाते हैं और ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए विशेष छूट और ऑफर लाते हैं।
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