forts in maharashtra: छत्रपति शिवाजी महाराज के सबसे बेहतरीन 5 क़िले!

forts in maharashtra: छत्रपति शिवाजी महाराज के सबसे बेहतरीन 5 क़िले!

Forts In Maharashtra: महाराष्ट्र के दुर्ग ऐतिहासिक धरोहरों और अद्भुत वास्तुकला के प्रतीक। जानें राजसी किलों की कहानियाँ, छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता और प्रकृति की गोद में बसे इन दुर्गों का अनोखा आकर्षण।


किलों का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

Forts In Maharashtra: महाराष्ट्र के किले ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये न केवल वास्तुशिल्पीय कृतियों का प्रतीक हैं, बल्कि वे उस समय की युद्ध रणनीतियों, शासन पद्धति, और सामाजिक व्यवस्था को भी दर्शाते हैं।

छत्रपति शिवाजी महाराज ने इन किलों का कुशलता से उपयोग करते हुए मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने किलों को अपने सैन्य मुख्यालय और प्रशासनिक केंद्र के रूप में विकसित किया। इन किलों ने कई बार दुश्मनों को मात दी और मराठा साम्राज्य की अजेयता का प्रतीक बने। आइए जानते हैं महाराष्ट्र के कुछ प्रमुख किलों के बारे में और उनकी ऐतिहासिक महत्ता। (Chhatrapati Shivaji Maharaj Fort)


1. शिवनेरी किला – shivneri fort

Shivaji Maharaj Fort: शिवनेरी किला पुणे जिले में स्थित है और यह छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध है। शिवनेरी किले का नाम ‘शिवाई देवी’ के नाम पर रखा गया है, जिनकी पूजा मराठा परिवार में प्रचलित थी। यह किला सात पहाड़ियों से घिरा हुआ है और इसकी सुरक्षा व्यवस्था बेहद मजबूत थी।

किले के अंदर शिवाजी महाराज के बचपन के कई महत्वपूर्ण स्थल हैं, जैसे शिवाई देवी का मंदिर। यह किला मराठा साम्राज्य के इतिहास का एक प्रमुख हिस्सा है। शिवनेरी किले का निर्माण सातवाहन वंश के दौरान शुरू हुआ था, और यह यादव वंश और बहमनी सुल्तानों के शासनकाल में भी महत्वपूर्ण था। 16वीं सदी में इस किले पर मुगलों और निजामशाही का अधिकार था। (Chhatrapati Shivaji Maharaj Fort)

shivaji maharaj fort images

  • स्थान और महत्व:
    • शिवनेरी किला पुणे जिले में स्थित है और यह छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्मस्थान है।
  • प्रमुख आकर्षण:
    • शिवाई देवी मंदिर: इस मंदिर में शिवाजी महाराज का नामकरण हुआ था।
    • सात दरवाजे: यह किला सात मजबूत दरवाजों से सुरक्षित है।

2. सिंहगढ़ किला – sinhagad fort

Shivaji Maharaj Fort: महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित रायगढ़ किला भारत के ऐतिहासिक किलों में से एक है, जिसे मराठा साम्राज्य की राजधानी के रूप में जाना जाता है। रायगढ़ किला केवल एक किला नहीं, बल्कि छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य, रणनीति, और प्रशासनिक कौशल का प्रतीक है। इस किले को ‘गढ़ों का राजा’ भी कहा जाता है।

रायगढ़ किले का निर्माण मूल रूप से रघुनाथ नाइक नामक शासक ने 1030 ईस्वी के आसपास किया था। बाद में, छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1674 में इसे अपने शासन की राजधानी बनाया। इस किले में ही शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था और उन्हें छत्रपति की उपाधि से विभूषित किया गया था।

यहाँ तक पहुँचने के लिए करीब 1737 सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है। किले की संरचना मजबूत पत्थरों से बनी है और इसमें कई दरवाजे, महल, और स्मारक शामिल हैं। किले का मुख्य प्रवेश द्वार “महादरवाजा” है, जो विशाल और भव्य है। (Chhatrapati Shivaji Maharaj Fort)

  • स्थान और महत्व:
    • पुणे से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित सिंहगढ़ किला मराठा साम्राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान था। यह किला तानाजी मालुसरे की वीरता के लिए जाना जाता है, जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर इसे जीता।
  • प्रमुख आकर्षण:
    • तानाजी मालुसरे की समाधि: यह उनके बलिदान का प्रतीक है।
    • किले की प्राकृतिक सुरक्षा: यहाँ की गहरी खाई और ऊंची दीवारें इसे अजेय बनाती थीं।

3. तोरणा किला – torna fort

Shivaji Maharaj Fort: महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित यह किला है। इसे ‘पृथ्वी दुर्ग’ के नाम से भी जाना जाता है। यह किला सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में समुद्र तल से 1,403 मीटर (4,603 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है, जो इसे पुणे क्षेत्र के सबसे ऊंचे किलों में से एक बनाता है।

तोरणा किले का निर्माण 13वीं शताब्दी में यादव वंश के शासनकाल में हुआ था। इसे मूल रूप से ‘त्रिवेण दुर्ग’ कहा जाता था। 1643 में, जब छत्रपति शिवाजी महाराज ने केवल 16 वर्ष की आयु में इस किले पर विजय प्राप्त की, तो यह मराठा साम्राज्य के विस्तार की पहली बड़ी सफलता थी।

इस किले का नाम ‘तोरणा’ यहाँ के तोरण (एक प्रकार का फूल) के पौधों के कारण पड़ा। शिवाजी महाराज ने इस किले का नाम ‘राजगढ़’ भी रखा था और इसे मराठा साम्राज्य के लिए एक रणनीतिक केंद्र के रूप में विकसित किया। (Chhatrapati Shivaji Maharaj Fort)

  • स्थान और महत्व:
    • पुणे जिले में स्थित तोरणा किला शिवाजी महाराज द्वारा जीता गया पहला किला था। इसे “पृथ्वी दुर्ग” भी कहा जाता है।
  • प्रमुख आकर्षण:
    • जुंगली टॉप: यह स्थान किले के सबसे ऊंचे हिस्से पर स्थित है।
    • मार्तंड मंदिर: यहाँ का एक प्राचीन मंदिर जो किले की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।

4. प्रतापगढ़ किला – Pratapgad Fort

Shivaji Maharaj Fort: प्रतापगढ़ किला महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित है और यह किला महाबलेश्वर से लगभग 24 किलोमीटर दूर है। यह किला छत्रपति शिवाजी महाराज और अफजल खान के बीच प्रसिद्ध युद्ध का गवाह है। 1656 में शिवाजी महाराज ने इस किले का निर्माण शुरू कराया था, और यह किला मराठा साम्राज्य के महत्वपूर्ण किलों में से एक माना जाता है।

प्रतापगढ़ किला भारतीय इतिहास में उस ऐतिहासिक युद्ध के कारण प्रसिद्ध है, जब 1659 में अफजल खान, बीजापुर के सुलतान के प्रतिनिधि, ने शिवाजी महाराज को मारने की योजना बनाई थी। लेकिन शिवाजी महाराज ने अपनी युद्ध नीति और बुद्धिमत्ता से अफजल खान को हराया। इस घटना के बाद, अफजल खान की मौत हो गई, और यह किला मराठों के नियंत्रण में आ गया।

  • स्थान और महत्व:
    • यह किला महाबलेश्वर के पास स्थित है और अफजल खान के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रसिद्ध लड़ाई का गवाह है।
  • प्रमुख आकर्षण:
    • भवानी देवी मंदिर: शिवाजी महाराज के विश्वास और शक्ति का प्रतीक।
    • शिवाजी महाराज की प्रतिमा: किले के केंद्र में स्थित यह प्रतिमा उनकी वीरता को दर्शाती है।
    • अद्वितीय वास्तुकला: यह किला दो स्तरों पर बनाया गया है, जो इसे अन्य किलों से अलग करता है।

5. रायगढ़ किला – raigad fort

Shivaji Maharaj Fort: रायगढ़ किला, महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित एक ऐतिहासिक किला है, जो छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता और मराठा साम्राज्य के गौरव का प्रतीक है। रायगढ़ किला छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल के दौरान एक महत्वपूर्ण स्थल था। 1674 में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक यहीं हुआ था, जिससे यह किला मराठा साम्राज्य की राजधानी बन गया।

शिवाजी महाराज का निधन 3 अप्रैल 1680 को हुआ था। उनके निधन के बाद, उनके पुत्र संभाजी महाराज ने उनकी समाधि निर्माण की योजना बनाई। रायगढ़ किले में यह समाधि स्थल स्थापित किया गया, जहां शिवाजी महाराज ने अपने जीवन के अंतिम दिन बिताए थे। (Chhatrapati Shivaji Maharaj Fort)

  • स्थान और महत्व:
    • रायगढ़ किला महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में समुद्र तल से 820 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसे मराठा साम्राज्य की राजधानी कहा जाता है। यह किला छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन का केंद्र बिंदु था और यहीं उनका राज्याभिषेक हुआ था।
  • प्रमुख आकर्षण:
    • महादरवाजा: यह किले का मुख्य द्वार है, जो बेहद मजबूत और भव्य है।
    • राजसभा: यह स्थान शिवाजी महाराज के प्रशासनिक निर्णयों का गवाह रहा है।
    • समाधि स्थल: शिवाजी महाराज की समाधि यहीं स्थित है, जो मराठा वीरता की अमर निशानी है।

Shivaji Maharaj Fort: महाराष्ट्र के किले न केवल इतिहास के पन्नों को जीवंत करते हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित रखते हैं। ये किले केवल पत्थरों की इमारतें नहीं हैं, बल्कि शौर्य, बलिदान, और सामर्थ्य की कहानियाँ हैं। हर किला अपने आप में अनूठा है और हमें यह सिखाता है कि हमारे पूर्वज कितने कुशल योद्धा और रणनीतिकार थे।

आप इतिहास, संस्कृति, और प्रकृति में रुचि रखते हैं, तो महाराष्ट्र के इन किलों की यात्रा अवश्य करें। ये किले न केवल आपको अतीत से जोड़ेंगे, बल्कि आपको गर्व महसूस कराएंगे कि आप एक ऐसी भूमि से जुड़े हैं, जहाँ वीरता और कला का अद्भुत संगम है। (Forts In Maharashtra)

यह भी देखिए-

1. छत्रपति शिवाजी महाराज ने कितने किले बनाए थे?

शिवाजी महाराज ने 350 से अधिक किलों का निर्माण या जीता था, जिनमें से कुछ प्रमुख किले सिंहगढ़, शिवनेरी, तोरणा, और प्रतापगढ़ हैं।

2. क्या छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों पर पर्यटकों को जाने की अनुमति है?

हां, शिवाजी महाराज के अधिकांश किलों पर पर्यटकों को जाने की अनुमति है। पर्यटक इन किलों को देख सकते हैं, हालांकि कुछ किलों पर चढ़ाई कठिन हो सकती है, जैसे राजगढ़ और तोरणा किला।

3. छत्रपति शिवाजी महाराज ने किलों का निर्माण क्यों किया?

शिवाजी महाराज ने किलों का निर्माण अपनी सामरिक ताकत को बढ़ाने, समुद्र तट पर समुद्री मार्गों को नियंत्रित करने, और मराठा साम्राज्य की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए किया था।

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