Guillain-Barre Syndrome: महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के 100 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिसमें सोलापुर में एक संदिग्ध मौत भी शामिल है। इस स्थिति को देखते हुए अधिकारियों ने व्यापक निगरानी अभियान शुरू कर दिया है। साथ ही, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने प्रभावित लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा देने का ऐलान किया है।
This Blog Includes
क्या है गिलियन-बैरे सिंड्रोम?
Guillain-Barre Syndrome: गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से परिधीय तंत्रिकाओं पर हमला करती है। इसके कारण मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होती है, जो गंभीर मामलों में पक्षाघात तक पहुंच सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी नामक बैक्टीरिया का संक्रमण, जो आमतौर पर गैस्ट्रोएंटेराइटिस का कारण बनता है, जीबीएस के सबसे सामान्य जोखिम कारकों में से एक है। इसके अलावा, साइटोमेगालोवायरस और एपस्टीन-बार वायरस जैसे कुछ वायरल संक्रमण भी इस विकार को ट्रिगर कर सकते हैं। हालांकि दुर्लभ मामलों में, टीकाकरण भी एक ट्रिगर के रूप में देखा गया है।
क्या है इसके लक्षण?
GBS Symptoms: जीबीएस आमतौर पर पैरों में कमजोरी और झुनझुनी के साथ शुरू होता है, जो धीरे-धीरे शरीर के ऊपरी हिस्से तक बढ़ सकता है। यह मांसपेशियों में कमजोरी या कभी-कभी पक्षाघात का कारण बन सकता है। इसके सामान्य लक्षणों में चलने में परेशानी, चेहरे की मांसपेशियों को हिलाने में कठिनाई जैसे बोलने, चबाने या निगलने में दिक्कत, और संतुलन व समन्वय की समस्याएं शामिल हैं।
Image Credit By – INSIGHTS IAS
गंभीर मामलों में, छाती की मांसपेशियों में कमजोरी के कारण सांस लेने में भी कठिनाई हो सकती है, जो स्थिति को और जटिल बना सकती है। इसलिए, इसके लक्षणों को पहचानकर समय पर चिकित्सा सहायता लेना बेहद जरूरी है।
इसका कारण क्या होता है?
GBS Causes: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन आमतौर पर यह श्वसन या पाचन तंत्र में संक्रमण के बाद देखने को मिलता है। बैक्टीरियल संक्रमण, जैसे कैम्पिलोबैक्टर, और वायरल संक्रमण, जैसे इन्फ्लूएंजा, कोविड-19 और जीका वायरस, इसके संभावित कारण माने जाते हैं।
कुछ अध्ययनों के अनुसार, वायरल संक्रमण से पीड़ित मरीजों में जीबीएस विकसित होने की संभावना उन मरीजों की तुलना में अधिक होती है जो डेंगू या मलेरिया जैसी बीमारियों से ग्रस्त होते हैं। यह दिखाता है कि जीबीएस के पीछे संक्रमण का प्रकार भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
इसका इलाज क्या है?
GBS Treatment: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के लक्षणों को कम करने और मरीज की रिकवरी को तेज़ करने के लिए शुरुआती इलाज बहुत जरूरी है। इसमें अंतःशिरा इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी या प्लाज्मा एक्सचेंज जैसे उपचार शामिल हो सकते हैं। कुछ गंभीर मामलों में मरीजों को श्वसन सहायता की भी जरूरत पड़ सकती है।
इसके अलावा, भौतिक चिकित्सा और पुनर्वास का विशेष महत्व है, क्योंकि यह जीबीएस के मरीजों को तेजी से ठीक होने और अपनी दैनिक गतिविधियों में वापस लौटने में मदद करता है। ज्यादातर गंभीर रूप से बीमार मरीज छह महीने के भीतर चलने में सक्षम हो जाते हैं, जो एक सकारात्मक संकेत है।
यदि मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है या उनकी विकलांगता बढ़ने का खतरा हो, तो अस्पताल में भर्ती करना जरूरी हो जाता है। यह निगरानी और बेहतर देखभाल के माध्यम से मरीज की स्थिति को और बिगड़ने से बचाने में मदद करता है।उन्होंने बताया कि पिंपरी-चिंचवाड़ के मरीजों का इलाज वाईसीएम अस्पताल में होगा। पुणे नगर निगम क्षेत्र के मरीजों का इलाज कमला नेहरू अस्पताल में किया जाएगा। वहीं, ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों को पुणे के ससून अस्पताल में मुफ्त चिकित्सा सुविधा दी जाएगी। (GBS Virus)
इसपर सरकार की प्रतिक्रिया
Guillain-Barre Syndrome In Hindi: जीबीएस का इलाज काफी महंगा होता है, क्योंकि हर इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) इंजेक्शन की कीमत करीब 20,000 रुपये होती है। कई मरीजों को इस बीमारी के इलाज के लिए एक से ज्यादा इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है, जिससे उनके परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।
इस चुनौती का समाधान करते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा, “यह इलाज काफी महंगा है। जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों के साथ चर्चा करने के बाद, हमने प्रभावित मरीजों को मुफ्त इलाज देने का फैसला किया है।”
उन्होंने बताया कि पिंपरी-चिंचवाड़ के मरीजों का इलाज वाईसीएम अस्पताल में होगा। पुणे नगर निगम क्षेत्र के मरीजों का इलाज कमला नेहरू अस्पताल में किया जाएगा। वहीं, ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों को पुणे के ससून अस्पताल में मुफ्त चिकित्सा सुविधा दी जाएगी। (GBS Virus)
यह भी देखिए-