indian 7 wonders of the world- भारत के सात अजूबे ऐसे स्मारक हैं जो मानवता की अद्वितीय कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये अजूबे अपनी वास्तुकला, इतिहास और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं।
भारत के 7 अजूबें
indian 7 wonders of the world- भारत एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और अद्भुत वास्तुकला का देश है। यहाँ कई ऐसे स्मारक हैं जो न केवल अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जाने जाते हैं। आइए, indian 7 wonders of the world के बारे में विस्तार से जानते हैं।
Table of Contents
Indian 7 Wonders Of The World
1. ताजमहल (आग्रा)
भारत की सबसे अनमोल धरोहर ताजमहल भी दुनिया के सात अजूबों में से एक है। अपनी खूबसूरत कलाकारी, आकृति की वजह से इसे अजूबा बोला गया था। ताजमहल का निर्माण 1632 में शाहजहाँ द्वारा करवाया गया था, यह एक प्यार की निशानी है, जिसे शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज की याद बनवाया था। सफ़ेद संगमरमर का बना ये मकबरा, पूरी तरह से सफ़ेद है, जिसके चारों ओर बगीचा है और सामने पानी की बारी है। ताजमहल भारत के आग्रा शहर में स्थित है। इस जैसे सुंदर कलाकृति दुनिया में और कही देखने को नहीं मिलेगी। मुग़ल शासक शाहजहाँ ने जब इसे बनवाया था। (indian 7 wonders of the world)
इसकी उचाई 219 फीट है। 15 साल का समय लगा था, और इसे बनाने के बाद राजा ने निर्माण से जुड़े सभी मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे, ताकि वे ऐसा कुछ दूसरा न बना सके। भारत में मुगलों लम्बे समय तक शासन किया था, इस दौरान उन्होंने बहुत सी शिल्पकारी, कलाकृति बनवाई थी, जो आज तक भारत में मौजूद है। ताजमहल की सुन्दरता को देखने के लिए, देश दुनिया से लोग दूर दूर से आते है। (indian 7 wonders of the world)
2. स्वर्ण मंदिर (अमृतसर)
स्वर्ण मंदिर का निर्माण गुरु राम दास जी द्वारा 1581 में किया गया था, लेकिन इसे गुरु अर्जुन देव जी द्वारा 1604 में पूरा किया गया, जब गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन किया गया। स्वर्ण मंदिर, जिसे हरमंदिर साहिब या अमृतसर का स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है, सिख धर्म का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र स्थल है। यह मंदिर अपनी भव्यता, धार्मिक महत्व और शांति का प्रतीक है। इसे भारतीय वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण माना जाता है। स्वर्ण मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है, जिसमें भारतीय, इस्लामी और फारसी शैलियों का मिश्रण देखा जा सकता है। इसका प्रमुख भाग संगमरमर से बना है और इसे सोने की पत्तियों से सजाया गया है, जिससे यह बेहद आकर्षक लगता है।
मंदिर के चारों ओर एक खूबसूरत जलाशय है, जो इसे और भी अद्भुत बनाता है। स्वर्ण मंदिर में सिखों का पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब, रखा गया है। इसे प्रतिदिन सुबह और शाम को यहाँ लाया जाता है और इसे विशेष सम्मान दिया जाता है।मंदिर के भीतर धार्मिक संगीत और कीर्तन की ध्वनि से वातावरण और भी पवित्र हो जाता है। स्वर्ण मंदिर के चारों ओर चार मुख्य द्वार हैं, जो सिख धर्म की मान्यता को दर्शाते हैं कि यह सभी के लिए खुला है। यह मानवता के लिए सेवा और समर्पण का प्रतीक है। इसे धार्मिक आस्था के साथ-साथ पर्यटन के लिए भी एक प्रमुख स्थान माना जाता है, जहाँ हर वर्ष लाखों लोग दर्शन करने आते हैं।
3. कोणार्क सूर्य मंदिर (उड़ीसा)
कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में सोमनाथ साम्राज्य के राजा नरसिंह देव ने कराया था। इसे सूर्य देवता को समर्पित किया गया था, जो हिंदू धर्म में सूर्य के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर अपनी कला और स्थापत्य के लिए बहुत प्रसिद्ध है और इसे भारत के पुरातात्विक धरोहर के रूप में माना जाता है। कोणार्क सूर्य मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है और यह भारतीय कला और संस्कृति का अद्भुत उदाहरण है। यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र भी है।मंदिर के पास ही एक विशाल समुद्र तट है, जो यात्रियों के लिए एक आकर्षक स्थल है।
कोणार्क सूर्य मंदिर की वास्तुकला चक्र (पहिया) के रूप में डिज़ाइन की गई है, जिसमें चार बड़े पहिये हैं जो सूर्य के रथ का प्रतीक हैं। मंदिर का निर्माण काले ग्रेनाइट पत्थर से किया गया है और इसमें उत्कृष्ट शिल्पकला देखने को मिलती है, जिसमें देवी-देवताओं, नृत्य, संगीत, और जीवन के विभिन्न पहलुओं की नक्काशी शामिल है। यह मंदिर अपनी भव्यता और बारीक नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। इसके प्रत्येक हिस्से में बारीक शिल्पकला की गई है, जो इसे एक अद्वितीय आकर्षण प्रदान करती है। मंदिर के अंदर सूर्यमंडल की छवि बनी हुई है, जो सूर्य देवता को समर्पित है। (indian 7 wonders of the world)
कोणार्क सूर्य मंदिर में सूर्य की किरणें विशेष रूप से सुबह के समय मंदिर के गर्भगृह में पहुँचती हैं, जिससे सूर्य देवता की प्रतिमा को प्रकाश मिलता है। यह एक खगोलिय प्रयोग के रूप में भी कार्य करता था, जहां धार्मिक कार्यों के साथ-साथ खगोल विज्ञान के अध्ययन के लिए भी इसका उपयोग किया जाता था। (indian 7 wonders of the world)
4. खजुराहो (छतरपुर)
खजुराहो का निर्माण चंदेल राजवंश के शासन काल में हुआ, जो कि एक समृद्ध और शक्तिशाली राजवंश था। इन मंदिरों का निर्माण मुख्यतः धार्मिक उद्देश्य के लिए किया गया था, लेकिन उनकी शिल्पकला और चित्रण ने उन्हें विश्व धरोहर में शामिल कर दिया। खजुराहो के मंदिरों का विस्तार से वर्णन “अग्निपुराण” और “मानसार” जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। खजुराहो के मंदिरों को 1986 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। ये भारतीय कला और संस्कृति का प्रतीक हैं और समृद्ध शिल्पकला और वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। हर साल, खजुराहो नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश-विदेश से कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
indian 7 wonders of the world- खजुराहो के मंदिरों को विभिन्न शैलियों में बनाया गया है, जिसमें नागर और द्रविड़ वास्तुकला शामिल हैं। यहाँ के मंदिरों की दीवारों पर अद्वितीय और विस्तृत शिल्पकला है, जिसमें यौन चित्रण, नृत्य, और जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है। खजुराहो में कुल 85 मंदिर थे, जिनमें से 25 मंदिर आज भी संरक्षित हैं। प्रमुख मंदिरों में वृषभेश्वर, लक्ष्मण, कंडारिया महादेव, और जगदंबा मंदिर शामिल हैं। खजुराहो के मंदिरों की सबसे खास बात उनके यौन चित्रण हैं, जो प्राचीन भारतीय संस्कृति की खुली और समृद्ध सोच को दर्शाते हैं। ये चित्रण न केवल यौनता का प्रदर्शन करते हैं, बल्कि प्रेम, सौंदर्य, और जीवन के विभिन्न पहलुओं को भी दिखाते हैं।
5. नालंदा (पटना)
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त साम्राज्य के सम्राट कुमारगुप्त ने की थी। यह विश्व का सबसे पुराना और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था, जिसने अपने समय में बौद्धिकता का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनकर उभर। नालंदा विश्वविद्यालय को न केवल भारत, बल्कि पूरे एशिया में एक प्रमुख शिक्षा केंद्र के रूप में माना जाता था। यहाँ से छात्रों का आगमन विभिन्न देशों, जैसे चीन, तिब्बत, कोरिया, जापान, और श्रीलंका से होता था। (indian 7 wonders of the world)
नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर में कई भव्य भवन, पुस्तकालय, छात्रावास और मंदिर थे। यहाँ के भवनों की वास्तुकला बौद्ध शैली में थी, जिसमें पत्थर और ब्रिक का उपयोग किया गया था। प्रमुख भवनों में एक बड़ा पुस्तकालय था, जिसे “धर्मगुहा” के नाम से जाना जाता था। यह विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जहाँ लाखों ग्रंथों और शोध पत्रों का संग्रह था। नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध, जैन, और हिंदू धर्म से संबंधित विषयों का अध्ययन किया जाता था। यहाँ विभिन्न विषयों में शिक्षा दी जाती थी, जैसे तर्कशास्त्र, चिकित्सा, गणित, astronomy, और साहित्य। शिक्षकों और छात्रों के बीच संवाद और बहस को प्रोत्साहित किया जाता था, जिससे ज्ञान का आदान-प्रदान होता था। (indian 7 wonders of the world)
6. हम्पी (कर्नाटक)
हम्पी, कर्नाटक राज्य में स्थित एक प्राचीन नगर है, जो भारतीय इतिहास और संस्कृति का अनमोल धरोहर स्थल है। यह नगर 14वीं से 16वीं सदी के बीच विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था और इसकी भव्यता और वास्तुकला ने इसे “भारतीय अजूबा” की श्रेणी में शामिल किया है। हम्पी की खंडहर और स्मारक भारतीय स्थापत्य कला के अद्भुत उदाहरण हैं। हम्पी का प्राचीन नाम “हम्पा” था, और यह विजयनगर साम्राज्य का मुख्यालय था, जिसकी स्थापना 1336 में संगम राजाओं ने की थी। यह नगर समृद्ध व्यापार, कला और संस्कृति का केंद्र था, जहाँ विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का मिलन हुआ। विजयनगर साम्राज्य का पतन 1565 में हुआ, जिसके बाद हम्पी धीरे-धीरे खंडहर में बदल गया। (indian 7 wonders of the world)
हम्पी न केवल भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि यह विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। यहाँ की सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व इसे एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाते हैं। यह स्थल शिक्षार्थियों, इतिहासकारों और पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है, जो इसकी धरोहर और सांस्कृतिक इतिहास को समझने के लिए यहाँ आते हैं। हम्पी की स्थापत्य कला दक्षिण भारतीय शैली की विशेषता है, जिसमें भव्य मंदिर, महल, और किलों का निर्माण शामिल है। यहाँ के मंदिरों में अद्भुत नक्काशी और चित्रकला देखी जा सकती है, जो उस समय के शिल्पकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। (indian 7 wonders of the world)
7. श्रवणबेलगोला (कर्नाटक)
श्रवणबेलगोला का ऐतिहासिक महत्व जैन धर्म के लिए अत्यधिक है। यहाँ की प्रतिमा का निर्माण 10वीं शताब्दी में चोल राजवंश के दौरान किया गया था। राजा गोमतेश्वर ने इस प्रतिमा का निर्माण किया था, और इसे बाहुबली की प्रतिमा के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। श्रवणबेलगोला न केवल जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है, बल्कि यह भारतीय स्थापत्य कला का एक अद्भुत उदाहरण भी है। यह स्थल यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल है, जो इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है।श्रवणबेलगोला का सबसे प्रमुख आकर्षण यहाँ की 17 मीटर (56 फीट) ऊँची गोमतेश्वर की प्रतिमा है, जिसे बौद्ध धर्म के महान संत बाहुबली (गोमतेश्वर) के रूप में जाना जाता है।
यह प्रतिमा पूरी तरह से संगमरमर से बनी है और इसे बिना किसी सहारे के खड़ी स्थिति में बनाया गया है। प्रतिमा की विशेषता इसकी शानदार विवरण और चिकनी सतह है। इसे एक चट्टान पर उकेरा गया है, और इसके चारों ओर एक सुरम्य प्राकृतिक दृश्य है। प्रतिमा के चारों ओर अन्य जैन मंदिर और संरचनाएँ भी हैं, जो जैन वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण हैं। श्रवणबेलगोला जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहाँ हर 12 वर्षों में महामस्तकाभिषेक समारोह आयोजित किया जाता है, जिसमें गोमतेश्वर की प्रतिमा को विशेष पूजा और अभिषेक किया जाता है। इस पर्व में लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं, जो जैन संस्कृति और परंपराओं का अद्भुत उदाहरण है।
7 wonders of the world names
7 wonders of the world names- इस पूरी दुनिया में 7 नए अजूबें हैं जो 2007 में चुने गए थे। नए अजूबों से पहले दुनिया के 7 अजूबे सबसे पहले लगभग 2,200 साल पहले आए थे। प्राचीन विश्व में सबसे पहले 7 अजूबों का विचार हेरोडोटस और कल्लिमचुस नाम के ग्रीक लेखकों को आया था। (7 wonders of the world names)
7 wonders of the world in hindi- नाम चुनने और परिणाम आने के बाद जो दुनिया के 7 अजूबे हुए, उससे भारत का भी गौरब बढ़ा और उसके बाद मानों कि बाहर से आने वालों की वहां होड़ सी लग गई। 7 Wonders of the World in Hindi में हम आपको बताते हैं नए 7 अजूबे। (7 wonders of the world names)
दुनिया के 7 नए अजूबे
अजूबा | स्थान |
ताजमहल | भारत |
चिचेन इत्ज़ा | मेक्सिको |
क्राइस्ट दी रिडीमर | रियो डी जनेरिओ |
चीन की दीवार | चीन |
पेट्रा | जॉर्डन |
रोम का कोलोसियम | रोम |
माचू पिच्चू | पेरू |
7 wonders of the world in hindi- इन सात अजूबों में सिर्फ अभी ग्रेट पिरामिड ऑफ़ गिज़ा ही बचा हुआ है और इसे अब एक 7 अजूबों से अलग एक विशेष स्थान दिया गया है। बाकि बचे सभी अब नष्ट हो चुके है। इसके बाद कई देश के इंजिनियर और शोधकर्ताओं ने अपने अपने हिसाब कई लिस्ट तो निकाली, लेकिन उसे पुरे विश्व से सहमति नहीं मिल सकी। 7 Wonders of the World in Hindi में जानते हैं पुराने दुनिया के 7 अजूबों के बारे में। (7 wonders of the world names)
दुनिया के 7 पुराने अजूबे
अजूबा | स्थान |
ग्रेट पिरामिड ऑफ़ गिज़ा | मिस्र, वर्तमान इजिप्त |
हैंगिंग गार्डन ऑफ़ बेबीलोन | इराक |
स्टेचू ऑफ़ ज़ीउस अट ओलम्पिया | ग्रीस |
टेम्पल ऑफ़ आर्टेमिस | तुर्क्री |
माउसोलस का मकबरा | बोड्रम, टर्की |
कोलोसुस ऑफ़ रोडेज | रोड्स, ग्रीस |
लाइटहाउस ऑफ़ अलेक्सान्दिरा | मिस्र |
यह भी देखिए –
1. ताजमहल का निर्माण क्यों और किसने करवाया था?
ताजमहल का निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था। इसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है और यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है।
2. खजुराहो के मंदिरों का निर्माण किसने और किस उद्देश्य से करवाया था?
खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेला राजाओं ने 950-1050 ई. में करवाया था। इन मंदिरों की दीवारों पर उत्कृष्ट शिल्पकला और कामुक चित्रण है, जो प्राचीन भारतीय जीवन और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है।
3. नालंदा विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
नालंदा विश्वविद्यालय भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है, जिसे 5वीं शताब्दी में स्थापित किया गया था। यहाँ पर दुनियाभर से छात्र शिक्षा प्राप्त करने आते थे, और यह भारत का प्रमुख शिक्षा केंद्र रहा है।
4. क्या इन सात अजूबों को देखने के लिए सबसे अच्छा समय है?
हर स्मारक का सर्वश्रेष्ठ समय अलग होता है, लेकिन सामान्यत: अक्टूबर से मार्च का समय यात्रा के लिए अनुकूल होता है, क्योंकि इस दौरान मौसम सुहावना रहता है।
5. भारत के इन अजूबों की यात्रा करने के क्या लाभ हैं?
इन अजूबों की यात्रा करना न केवल भारत की प्राचीन वास्तुकला का अनुभव कराता है, बल्कि भारतीय इतिहास, संस्कृति और कला की गहरी समझ भी प्रदान करता है। ये स्थल भारतीय संस्कृति की विविधता और धरोहर को दर्शाते हैं।