Koneru Humpy: डी गुकेश के बाद कोनेरू हम्पी बनी शतरंज की ‘क्वीन’, दूसरी बार जीता विश्व रैपिड शतरंज का खिताब!

Koneru Humpy: डी गुकेश के बाद कोनेरू हम्पी बनी शतरंज की 'क्वीन', दूसरी बार जीता विश्व रैपिड शतरंज का खिताब!

Koneru Humpy: न्यूयॉर्क में आयोजित रविवार को भारत की कोनेरू हम्पी ने इंडोनेशिया की इरीन सुकंदर को हराकर दूसरी बार अपने नाम किया विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप का खिताब। कोनेरू हम्पी ने इस साल के अंत से पहले ही भारत को शतरंज में एक और बड़ी सफलता हासिल करके भारत का नाम रोशन कर दिया है।


कौन है कोनेरू हम्पी?

Koneru Humpy: कोनेरू हम्पी आंध्र प्रदेश की रहने वाली एक प्रमुख शतरंज खिलाड़ी है। कोनेरू हम्पी इनका जन्म 31 मार्च 1987 को आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में हुआ था। कोनेरू हम्पी अंतरराष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करती है।

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Image Credit By – Instagram

उन्हें शतरंज के करियर में उनके पिताजी ने बड़ा योगदान दिया है। उनके पिताजी का नाम कोनेरू अशोक है, जो एक शतरंज के कोच थे। कोनेरू हम्पी का मुख्य लक्ष्य शतरंज रहा है, लेकिन उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा यानी कॉरेस्पॉन्डेंस कोर्स (पत्राचार शिक्षा) भी किया क्योंकि वे शतरंज प्रतियोगिताओं और पढ़ाई के बीच संतुलन बना सकें।

उनकी शिक्षा और करियर दोनों में भी उनके पिताजी ने बड़ा योगदान दिया है। शतरंज में उनकी मेहनत और लगाव ने उन्हें कम उम्र में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दिलाई है।


कोनेरू हम्पी की विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप में जीत

FIDE Women World Rapid Championship 2024: डी गुकेश के बाद कोनेरू हम्पी ने रचाया भारत का इतिहास। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कोनेरू हम्पी को बहुत सारी बधाई दी है। उनकी इस जीत के लिए देशभर से उन्हें बधाई और शुभकामनाएं मिल रही हैं। 2024 के अंत में कोनेरू हम्पी ने 11 में से 8.5 अंक के साथ विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप स्वर्ण पदक जीता है।

सभी का कहना है कि,डी गुकेश के बाद हम्पी ने 2024 का अंत बहुत अच्छी तरह से ख़ुशियों के साथ किया। इससे पहले हम्पी ने 2019 को विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप (World Rapid Chess Championship) में स्वर्ण पदक जीता था। यह टूर्नामेंट रूस के मॉस्को में आयोजित किया गया था।


जीत के बाद का हम्पी का कहना

Humpy Koneru: कोनेरू हम्पी ने जीत दर्ज करने के बाद पहली प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने कहा ‘मैं बहुत उत्साहित हूं और मुझे बहुत खुशी हुई है। मुझे उम्मीद थी कि यह बहुत कठिन दिन होगा मेरे लिए लेकिन मैंने यह करके दिखाया। लेकिन जब मैंने बाजी खत्म की, मुझे तब पता चला जब मध्यस्थ ने मुझे बताया। यह मेरे लिए एक बहुत तनावपूर्ण क्षण था।’

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उन्होंने कहा पूरा साल में संघर्ष करती रही हू और कई टूर्नामेंट में मेरा प्रदर्शन काफ़ी खराब रहा है जहां में अंतिम स्थान पर रही। इसलिए यह जीत मेरे लिए एक आश्चर्य की बात है।


शतरंज में कोनेरू हम्पी का प्रयास

World Rapid Chess Champion: कोनेरू हम्पी ने अपने 5 साल की उम्र में ही शतरंज खेलना शुरू किया था। कोनेरू हम्पी के पिता ने उनको शतरंज का प्रशिक्षण दिया और उनके लिए एक ऐसा माहौल बनाया जिसमें वह अपने आपको निखार सके अपनी एक नई पहचान बना सके।

कोनेरू हम्पी ने अपनी पहली और बड़ी सफलता 1999 में हासिल की, तब वे विश्व जूनियर शतरंज चैंपियन बनीं थी। इसके बाद उन्होंने अपनी 14 साल की उम्र में ही 2001 में एशियन शतरंज चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया। कोनेरू हम्पी ने 15 साल की उम्र में 2002 में ग्रैंडमास्टर (Indian Chess Grandmaster) का खिताब भी जीता।


कोनेरू हम्पी की शादी और मुश्किलों का सामना

FIDE Women World Rapid Championship: साल 2014 में कोनेरू हम्पी की शादी अन्वेष उप्पलापति से हुई, जो एक व्यवसायी थे। शादी के बाद उन्होंने शतरंज से कुछ समय का ब्रेक लिया लेकिन शतरंज के प्रति उनका जुनून काम नही हुआ। इसके बाद उन्होंने 2017 में एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया।

माँ बनने की ज़िम्मेदारियों की वजह से उन्होंने थोड़े समय के लिए अंतरराष्ट्रीय शतरंज से दूरी बना ली। यह समय उनके लिए बहुत मुश्किल समय था क्योंकि खेल और परिवार के बीच उन्हें अपने परिवार को भी संभालना था। उस समय उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा फिर भी वे अपने खेल के प्रति लक्ष्य केंद्रित करते लिए उन्होंने हार नही मानी वे आगे बढ़ती रही।


शादी के बाद शतरंज में वापसी

2024 Chess Championship: शादी और माँ बनने के बाद कोनेरू हम्पी ने फिर से शतरंज में वापसी की। वापसी के बाद उन्होंने साबित कर दिखाया कि, इतनी मुश्किलों का सामना करने से भी अपनी क्षमता और कौशल में कमी नही आती है।

Koneru humpy: डी गुकेश के बाद कोनेरू हम्पी बनी शतरंज की 'क्वीन', दूसरी बार जीता विश्व रैपिड शतरंज का खिताब!

2019 को जॉर्जिया में उन्होंने विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए विश्व रैपिड शतरंज चैंपियन का खिताब फिरसे अपने नाम कर लिया। यह जीत उनकी वापसी का सबसे बड़ा सबूत था और अपने करियर की ओर बढ़ने का सबसे बड़ा प्रयास था।

लंबे समय तक खेल से दूर रहने के बाद वापस प्रतियोगिता में आना कोई आसान काम नही था। उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों का सामना किया और खुद को फिर से विश्व स्तर पर साबित कर दिखाया।

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