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maharani ahilyabai devi holkar महारानी अहिल्या देवी होलकर

maharani ahilyabai devi holkar महारानी अहिल्या देवी होलकर ने क्रूर औरंगज़ेब ने जो देश क्रूरता मचाई थी और उसने सभी हिंदू मंदिरो को जो खंडित किया था उसका पुनर्निरामन का maharani ahilyabai devi holkar महारानी अहिल्या देवी होलकर इन्होंने किया.

आज maharani ahilyabai devi holkar महारानी अहिल्या देवी होलकर इनकी जयंती हे-

maharani ahilyabai devi holkar महारानी अहिल्या देवी होलकर इन का जन्म ३१ may १७२५ को अहमदनगर शहर जिसका हलिमे नाम बदल कर अहिल्यानगर किया हे. के चौंडी गाव में हुआ था. अहिल्याबाई ने सैन्य शिक्षा ली। उस समय उन्हें महिला सशक्तिकरण का यह उदाहरण माना जाता है.

आदरणीय माणकोजी शिंदे की बेटी अहिल्याबाई होल्कर: महिला सशक्तिकरण का प्रतीक

गाँव के आदरणीय व्यक्तित्व माणकोजी शिंदे की बेटी अहिल्याबाई होल्कर, किसी राजघराने में जन्मी नहीं थीं। फिर भी, एक दिन राज्य की सत्ता उनके हाथों में आई। एक सामान्य परिवार की बेटी असामान्य जिम्मेदारियाँ निभाने लगी, यह अगली पीढ़ी की लाखों युवतियों के लिए प्रेरणादायक है।

मराठा साम्राज्य का पुनर्निर्माण और अहिल्याबाई का उदय

औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगलों का पतन हो रहा था। इस समय में मराठे अपना खोया हुआ साम्राज्य पुनः प्राप्त करने और उसका विस्तार करने में लगे थे। मल्हारराव होल्कर, मराठा सेनापतियों में से एक थे। पेशवा बाजीराव ने मालवा की जागीर मल्हारराव होल्कर को दी। होल्कर ने अपनी शक्ति पर राज्य की स्थापना की और यहाँ इंदौर बसाया। मल्हारराव अपने बेटे खंडेराव के लिए ऐसी लड़की की तलाश में थे, जो उसे गद्दी संभालने में मदद कर सके। इस दौरान उनकी मुलाकात अहिल्याबाई से हुई।

अहिल्याबाई और खंडेराव का विवाह

एक दौरे के दौरान मल्हारराव चाऊंडी गाँव से गुजर रहे थे। वहाँ संध्याकालीन आरती के समय एक लड़की ने उनका ध्यान आकर्षित किया। अहिल्याबाई के गुण और संस्कार देखकर मल्हारराव प्रभावित हुए और अपने बेटे खंडेराव का विवाह अहिल्याबाई से करवा दिया। मल्हारराव को अहिल्याबाई की क्षमताओं पर पूरा विश्वास था।

सती प्रथा से बचाकर अहिल्याबाई को जिम्मेदारी सौंपना

विवाह के बाद खंडेराव ने सत्ता संभाली। लेकिन अचानक युद्ध में खंडेराव वीरगति को प्राप्त हुए। उस समय सती प्रथा थी, लेकिन मल्हारराव ने अहिल्याबाई की क्षमताओं को पहचानते हुए उन्हें सती होने से रोका और उन्हें राज्य की जिम्मेदारी संभालने का विश्वास दिलाया।

पति की मृत्यु के बाद लिया सैन्य प्रशिक्षण

मल्हारराव ने अहिल्याबाई को बेटी की तरह पाला और अहिल्याबाई भी मल्हारराव को राज्य के कार्यों में सहायता करने लगीं। अहिल्याबाई का जीवन संघर्षों से भरा था। कुछ ही समय में उन्होंने अपने ससुर और फिर 22 वर्ष की आयु में अपने बेटे मालेराव को खो दिया। बेटे की मृत्यु के बाद राज्य का प्रशासन संभालने के लिए अहिल्याबाई आगे आईं। पति खंडेराव होल्कर के निधन के बाद अहिल्याबाई ने सैन्य प्रशिक्षण लिया। उस समय उन्हें महिला सशक्तिकरण का उदाहरण माना गया।

महिला सेना की स्थापना

अहिल्याबाई ने स्वयं प्रशासन संभाला और राज्य को मजबूत करने के लिए महिला सेना की स्थापना की। उनके राज्य में महिलाओं को उनके अधिकार मिलने लगे। अहिल्याबाई ने लड़कियों की शिक्षा का विस्तार करने का प्रयास किया और निराश्रितों की मदद की। इससे जनता में उनके प्रति बहुत आदर की भावना थी। उन्होंने विदेशी आक्रमणों से अपने राज्य की रक्षा की।

मंदिरों का पुनर्निर्माण और धार्मिक कार्य

अहिल्याबाई होल्कर ने कई सामाजिक और धार्मिक कार्य किए। औरंगजेब द्वारा नष्ट किए गए मंदिरों का पुनर्निर्माण किया। उन्होंने श्रीनगर, हरिद्वार, केदारनाथ, बद्रीनाथ, प्रयाग, वाराणसी, नैमिषारण्य, पुरी, रामेश्वरम, सोमनाथ, महाबलेश्वर, पुणे, इंदौर, उडुपी, गोकर्ण, काठमांडू आदि स्थानों पर भारतभर में कई मंदिर बनवाए। अहिल्याबाई होल्कर का जीवन संघर्ष, नेतृत्व और सशक्तिकरण की मिसाल है।

read more- Nandamuri Balakrishna News

विदेशि योने जो हमारे भारत की संस्कृति को हानि पोहचाई थी उसे maharani ahilyabai devi holkar ने पुनःस्थापित की हे आज maharani ahilyabai devi holkar के जयंती निमित उन्हें हम नमन करते हे.

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