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murder in mahim web series / मर्डर इन माहिम

MURDER IN MAHIM

ओटीटी स्पेस में कई मर्डर मिस्ट्री मौजूद हैं। जिओ सिनेमा की ताजा सीरीज murder in mahim web series / मर्डर इन माहिम एक नॉवल से प्रेरित कहानी है जिसमें LGBTQ मुद्दे के साथ मुंबई में रहने वालों की जिंदगी को अंडर करंट रखा गया है। इस सीरीज में विजय राज पुलिस अधिकारी के किरदार में हैं जबकि आशुतोष राणा पूर्व क्राइम जर्नलिस्ट की भूमिका निभा रहे हैं.

murder in mahim web series / मर्डर इन माहिम : नॉवल से ली गई है-

जियो सिनेमा पर रिलीज हुई murder in mahim web series की कहानी 2017 में इसी नाम से आये नॉवल से ली गई है। यह नॉवल जेरी पिंटो ने लिखा था, जो पेशे से जर्नलिस्ट रहे हैं। सीरीज में भी एक प्रमुख किरदार जर्नलिस्ट दिखाया गया है, जो आशुतोष राणा ने निभाया है।

पिंटो हिंदी सिनेमा की दिग्गज अदाकारा हेलेन की बायोपिक Helen: The Life and Times of an H-Bomb लिखने के लिए भी जाने जाते हैं, जिसे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था। हालांकि, मर्डर इन माहिम बिल्कुल अलग जॉनर की सीरीज है।

ओटीटी स्पेस में क्राइम पर आधारित कंटेंट का खूब बोलबाला है। जिओ सिनेमा पर स्ट्रीम हो रही मर्डर इन माहिम इस लिस्ट को लम्बा करती है, मगर असर नहीं छोड़ती। आठ एपिसोड्स में फैली यह एक औसत सीरीज है, जिसकी सबसे बड़ी खूबी कलाकारों का अभिनय है।

murder in mahim web series / मर्डर इन माहिम ki kahani –

मुंबई के बेहद बिजी माहिम जंक्शन स्टेशन के वाशरूम में एक लाश मिलती है, जिसके हाथ पर अगले शिकार नाम लिखा होता है। कत्ल होने वाले सारे लोग समलैंगिक होते हैं। इंस्पेक्टर शिवाजीराव जेंडे (Vijay Raaz) को इसकी तफ्तीश की जिम्मेदारी मिलती है। मगर, तफ्तीश के साथ कत्ल का सिलसिला भी बढ़ता जाता है।शिवाजीराव की इस इनवेस्टिगेशन में एक्स क्राइम जर्नलिस्ट पीटर फर्नांडिस (Ashutosh Rana) मदद करता है। पीटर को शक है कि उसका बेटा सुनील समलैंगिक है, क्योंकि वो उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाता है।

कत्ल की जांच के साथ शिवाजीराव की निजी स्टोरी भी साथ चलती है, जो उसके पिता दुल्लर जेंडे (Shivaji Satam) के साथ संबंधों पर आधारित है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब पीटर का बेटा संदिग्धों की लिस्ट में आ जाता है।

जेरी पिंटो के नॉवल को मुस्तफा नीमचावाला और उदय सिंह पवार ने राज आचार्य के निर्देशन में पर्दे पर पेश किया है। मर्डर मिस्ट्री की कहानी एलजीबीटीक्यू समुदायों पर भी बात करती है।

उनको लेकर होने वाले भेदभाव और उनसे जुड़े मिथकीय भय पर टिप्पणी करती है। यह मिथक समाज में इतने अंदर तक बैठे हुए हैं कि समझदार दिखने वाले लोग भी इसे सच मानते हैं, जिसके चलते नतीजा कुछ लोगों को भुगतना पड़ता है। सीरीज का कालखंड 2013 का वक्त है, जब समलैंगिकता को कानूनी तौर पर अपराध माना जाता है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपराध की श्रेणी से बाहर निकाला।

लेखकों ने कहानी में एलजीबीटीक्यू के मुद्दे के साथ मुंबई की जिंदगी और दोस्ती पर भी फोकस किया है। एक ऐसा शहर, जहां हर आय वर्ग के लोग अपनी-अपनी ख्वाहिशों और हकीकतों के साथ रहते हैं। बहुत-सी बातें समेटने के चक्कर में शो की रफ्तार धीमी हो गई है, जिसके मर्डर मिस्ट्री देखने का मजा किरकिरा होता है।

murder in mahim web series / मर्डर इन माहिम-

हालांकि, लेखन के दायरे में राज आचार्य का निर्देशन नपा-तुला है, जिसमें सीरीज के कलाकारों ने पूरा साथ दिया है। इंस्पेक्टर जेंडे के किरदार में विजय राज का अभिनय जबरदस्त है।

यह संयोग है कि हाल ही में एक इंटरव्यू में मनोज बाजपेयी ने कहा था कि विजय राज ऐसे कलाकार हैं, जिनके सामने अभिनय करना बेहद मुश्किल होता है। इस सीरीज में विजय को देखकर मनोज की बात गलत नहीं लगती।आशुतोष राणा भी अपने किरदार में जमे हैं। किरदार की परतों और लहजे को उन्होंने सफलता के साथ दिखाया है। इंस्पेक्टर जेंडे की सहायक फिरदौस रब्बानी के रोल में शिवानी रघुवंशी प्रभावित करती हैं। इस किरदार के टर्न्स चौंकाते हैं। मर्डर इन माहिम कलाकारों के अभिनय के लिए देखी जा सकती है, जो इस सीरीज को कत्ल होने से बचाते हैं।”

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