PCOD Kya Hota Hai: आजकल महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन की समस्या काफी आम हो गई है, और PCOD इसका एक मुख्य कारण है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो अंडाशय में छोटी-छोटी गांठों के बनने के कारण होती है। आइए जानते हैं PCOD के बारे में विस्तार से।
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पीसीओडी क्या हैं?
PCOD Kya Hota Hai: PCOD (Polycystic Ovarian Disease) एक सामान्य हार्मोनल समस्या है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें अंडाशय में अंडाणु (Eggs) ठीक से विकसित नहीं होते और इसके परिणामस्वरूप अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट (Cysts) बन जाते हैं।
इसका मुख्य कारण हार्मोनल असंतुलन होता है, जहां पुरुष हार्मोन (Androgens) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे महिलाओं में विभिन्न समस्याएं उत्पन्न होती हैं। आजकल यह समस्या 12 से 45 साल की महिलाओं में सबसे अधिक पाई जाती है, लेकिन यह किशोरावस्था (Teenage) में भी शुरू हो सकती है।(Pcod Full Form)
पहले सिर्फ लेट उम्र में शादी करने के कारण पीसीओडी की समस्या का महिलाओं को सामना करना पड़ता था लेकिन अब 15 से 16 साल की उम्र की लड़कियां भी इस दिक्कत से ग्रसित हो रही हैं। इनमें पीसीओडी के लक्षण चेहरे और शरीर के अंगों पर घने बाल उगने, पीरियड्स के समय बहुत अधिक दर्द होने, हेवी ब्लीडिंग होने या समय पर पीरियड्स ना होने जैसे लक्षण नजर आते हैं।
पीसीओडी के लक्षण
Pcod Symptoms In Hindi: PCOD के लक्षण हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण होते हैं जिनसे आप PCOD को पहचान सकते हैं।
- अनियमित माहवारी: PCOD से पीड़ित महिलाओं में मासिक धर्म का समय नहीं आता या बहुत कम या अधिक रक्तस्राव होता है।
- वजन का बढ़ना: PCOD से पीड़ित महिलाओं में वजन तेजी से बढ़ सकता है, खासकर पेट और कमर के आसपास।
- त्वचा पर मुंहासे: बढ़े हुए पुरुष हार्मोन के कारण चेहरे और शरीर पर मुंहासे (Acne) हो सकते हैं।
- बालों का झड़ना: PCOD के कारण महिलाओं के बालों में पतलापन आ सकता है और बालों का झड़ना बढ़ सकता है।
- अत्यधिक शरीर में बाल आना: चेहरे, छाती, पीठ, पेट आदि पर बालों की अधिकता हो सकती है।
- मूड स्विंग्स और अवसाद: हार्मोनल असंतुलन के कारण महिलाओं को अवसाद और मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- प्रजनन संबंधित समस्याएं: PCOD के कारण प्रजनन क्षमता में कमी हो सकती है, जिससे गर्भधारण में मुश्किलें आ सकती हैं।
पीसीओडी के कारण
Pcod Kya Hai In Hindi: पीसीओडी के कारण भिन्न व अनिश्चित हो सकते हैं । इसके वंशानुगत विकार होने के भी कुछ प्रमाण हैं । इस तरह के साक्ष्यों में रोगों का पारिवारिक संबंध, मोनोजायगोटिक में उच्च संगति है। आनुवांशिक केसेज में देखा गया है कि ये ऑटोसोमल डोमिनेंट बीमारी हो सकती है।
कई मामलों में सिंगल जिन विकार भी पाया जाता है। एंटी-मुलेरियन हार्मोन (एएमएच) के साथ-एण्ड्रोजन का औसत डिग्री से अधिक होना भविष्य में पीसीओडी के खतरे को बढ़ाता है।(Pcod Problem In Hindi)
पीसीओडी से कैसे बचे?
Pcod Kya Hota Hai In Hindi: सही और संतुलित आहार से PCOD के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। हरी सब्जियों, फल, प्रोटीन, और स्वस्थ वसा का सेवन बढ़ाएं। साथ ही, चीनी और वसा से भरपूर खाद्य पदार्थों से बचें। शारीरिक सक्रियता से वजन नियंत्रित रहता है और हार्मोनल असंतुलन को भी ठीक किया जा सकता है। रोजाना 30 मिनट की हल्की-फुल्की एक्सरसाइज या योगा करें।
तनाव और चिंता PCOD के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। इसलिए मानसिक शांति के लिए ध्यान, योग या गहरी सांस लेने की तकनीकों का अभ्यास करें। PCOD के लक्षणों को नजरअंदाज न करें। डॉक्टर से संपर्क करें और उचित इलाज लें।(Pcod Meaning In Hindi)
पीसीओडी का इलाज कैसे करें?
Pcod Ka Ilaj Kya Hai: आप Hormonal Treatment ले सकते है। यदि दवाइयों से कोई फायदा नहीं होता, तो कुछ मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के माध्यम से अंडाशय से सिस्ट को हटाया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली और खानपान में बदलाव से भी PCOD के लक्षणों में सुधार हो सकता है।
कुछ महिलाएं घरेलू उपायों को अपनाती हैं, जैसे कि तुलसी, दारचीनी, और अदरक का सेवन, जो PCOD के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकते हैं।(Pcod Problem Treatment)
Pcod In Hindi: PCOD एक ऐसी समस्या है जिसे सही समय पर पहचानकर और उपचार करके पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि महिलाएं इस बारे में जागरूक रहें और यदि किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और मानसिक शांति के साथ PCOD से निजात पाया जा सकता है।
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