Savitri Bai Phule का जन्म 3 जनवरी 1931 को महाराष्ट्र के सातारा ज़िल्हे के नायगाव नाम के छोटे गावमे हुआ था।वह भारत की एक थोर समाज सुधारक हे। वह भारत की पहली महिला शिक्षिका भी हे।Savitri Bai Phule ने महिलाओं के लिए बहोतसे एसे काम किए हे जिसे आज सभी महिलाओं को उसका लाभ मिल रहा हे।
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Savitri Bai Phule को P.M मोदी ने किया नमन
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज Savitri Bai Phule जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री मोदी ने उन्हें महिला सशक्तिकरण की प्रेरणा और शिक्षा एवं सामाजिक सुधार के क्षेत्र में अग्रणी बताया।
अपनी एक पोस्ट में श्री. मोदी ने लिखा
“सावित्रीबाई फुले जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। वह महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल हैं और शिक्षा एवं सामाजिक सुधार के क्षेत्र में अग्रणी हैं। लोगों के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित करने के लिए उनके प्रयास हमें प्रेरणा देते रहेंगे।”
Mahatma Jyotiba Phule
Mahatma Jyotiba Phule ये सावित्री बाई फुले के पति थे। उन्होंने उनके पत्नी का हर वक़्त साथ दिया हे।
उनका विवाह 1840 में हुआ, जब वह केवल 9 वर्ष की थीं। ज्योतिबा फुले ने सावित्रीबाई को शिक्षा दी और उन्हें समाज सेवा के लिए प्रेरित किया
Mahatma Jyotiba Phule ने महिलाओं के अधिकार के लिए बहोत लड़ाई की हे।Mahatma Jyotiba Phule भी एक थोर समाज सुधारक और लेखक थे।उन्होंने अशपृश्यता जाती व्यवस्था और महिलाओं के अधिकारो के लिए काम किया हे।+
Savitri Bai Phule शिक्षा और समाज सेवा
उस समय समाज में महिलाओं की शिक्षा को लेकर लोगों की कुछ ख़ास रुचि नही थी।सावित्रीबाई और ज्योतिबा फुले ने महिलाओं की शिक्षा के लिए काफ़ी संघर्ष किया।समाज में महिला सशक्तिकरण के लिए लोगों में जागरूकता की।तब समाज के कई लोगों का विरोध सहेना पड़ा था।
Ladkiyo Ke Liye School
1 जनवरी 1848 सावित्री बाई फुले और महात्मा ज्योतिबा फुले ने पुणे के भिड़े वाडा में लड़कियों के लिए पहले स्कूल की शुरुआत की।और उसी स्कूल की पहली महिला शिक्षिका भी बनी।
साहित्य और लेखन
सावित्रीबाई एक उत्कृष्ट कवयित्री भी थीं। उनकी कविताएं समाज को जागरूक करने और समानता का संदेश देने का काम बख़ूबी से किया। उनकी रचनाओं में “काव्यफुले” और “भान्डेकर” प्रमुख हैं, जिनमें सामाजिक सुधार और महिलाओं की स्वतंत्रता के संदेश स्पष्ट रूप से झलकते हैं।
विरासत
सावित्रीबाई फुले का योगदान भारतीय समाज के लिए अविस्मरणीय है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा और दृढ़ संकल्प से समाज में बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। आज भी उनकी जयंती पर उन्हें याद किया जाता है और उनके योगदान को सम्मानित किया जाता है।
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