uCC

यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड यह कई देशों में अमल में है पर भारत में यह कोड अभी तक लागू नहीं हुआ है जल्द ही भारत के उत्तराखंड में यह कोड लागू होने की आशंका है।

UCC

UCC का क्या मतलब है !

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है कि देश में रहने वाले सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग के लोग) के लिए एक ही कानून होना।अगर किसी राज्य में सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में हर नागरिकों के लिए एक से कानून होगा। इसके तहत अब निकाह और तलाक का अनिवार्य सरकारी रजिस्ट्रेशन किया जाएगा।विवाह समारोहों के दौरान मुस्लिम रस्मों पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। इससे पहले मुस्लिम निकाह काजियों के जरिए रजिस्टर कराए जाते थे।

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किसने किया था UCC को विरोध ?

AIMPLB ने इस लॉ का जमके विरोध किया है।इसी बात के लिए उन्होंने PM मोदी का भी विरोध किया था।इनका मानना है की फ़ैमिली लॉ की छेड़छाड़ और धर्म तोड़ने की कोशिश हो रही है।

यूसीसी का विरोध करने वाले मुस्लिम धर्मगुरुओं का मानना है कि, यूसीसी की वजह से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का वजूद खतरे में पड़ जाएगा। जो सीधे तौर पर मुस्लिमों के अधिकारों का हनन होगा। मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि शरीयत में महिलाओं को संरक्षण मिला हुआ है। इसके लिए अलग से किसी कानून को बनाए जाने की जरूरत नहीं है।

भारत में वर्तमान में दो प्रकार के कानून हैं

भारत में वर्तमान में दो प्रकार के कानून हैं – आपराधिक कानून और सिविल कानून। आपराधिक कानून सभी धर्मों के लोगों के लिए समान है, लेकिन सिविल कानून धर्म के आधार पर भिन्न होता है। सिविल कानून को पारिवारिक कानून भी कहा जाता है और इसमें शादी, तलाक, संपत्ति, गोद लेना आदि जैसे व्यक्तिगत मामलों को शामिल किया जाता है। भारत में हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए एक समान सिविल कानून लागू होता है, लेकिन मुस्लिम, ईसाई, पारसी और यहूदी धर्म के लोगों के लिए उनके अपने व्यक्तिगत कानून हैं।

UCC के फ़ायदे क्या है

यूनिफॉर्म सिविल कोड की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि वर्तमान में भारत में सिविल कानून धर्म के आधार पर भिन्न होता है, जिससे कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, हिंदू धर्म में एक व्यक्ति केवल एक ही विवाह कर सकता है, जबकि मुस्लिम धर्म में एक व्यक्ति बिना तलाक लिए ही दूसरी शादी कर सकता है। इसी तरह, हिंदू धर्म में लड़कियों को 18 साल की उम्र में बालिग माना जाता है, जबकि मुस्लिम धर्म में लड़कियों को 15 साल की उम्र में ही शादी कर दी जा सकती है। इन अंतरों के कारण अक्सर विवाद और असमानता उत्पन्न होती है।

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सभी धर्मों और जातियों के लोगों का सहयोग आवश्यक है

यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने से इन समस्याओं का समाधान हो सकता है और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और कर्तव्य सुनिश्चित किए जा सकते हैं। हालांकि, यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए सभी धर्मों और जातियों के लोगों का सहयोग आवश्यक है।

इस मुद्दे पर जनता की राय मांगी है

सरकार ने हाल ही में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर जनता की राय मांगी है। इस मुद्दे पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी अपना बयान जारी किया है और सरकार से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने की मांग की है

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