dev diwali varanasi 2024: “देव दीपावली पर बनारस के घाटों की अद्भुत छटा”

Dev Diwali Varanasi 2024: भारत की सांस्कृतिक राजधानी और धर्म की नगरी कही जाने वाली वाराणसी में, देव दिवाली एक अद्वितीय और पवित्र पर्व के रूप में मनाया जाता है। देव दिवाली की महिमा और इसके मनाने का ढंग वाराणसी में इस पर्व को अत्यंत विशेष बनाता है।

वाराणसी की पावन धरती पर दीपों का महापर्व

Dev Diwali Varanasi 2024: देव दिवाली का अर्थ है “देवताओं की दिवाली” यानी वह दिवाली जो विशेष रूप से देवताओं द्वारा मनाई जाती है। देव दिवाली को कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो दिवाली के ठीक पंद्रह दिन बाद आता है।

मान्यता यह है कि इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं और गंगा में स्नान करके इस पर्व को मनाते हैं। इस दिन वाराणसी के घाटों पर लाखों दीयों से गंगा के तटों को सजाया जाता है, और एक अद्भुत प्रकाशमयी छटा बिखर जाती है।

2024 में देव दिवाली का आयोजन

Dev Diwali Varanasi 2024: 15 नवंबर को शुक्रवार के दिन 21 ब्राह्मणों द्वारा मां भगवती का वैदिक ऋतिक रिवाज से पूजन किया जाएगा। इसके बाद श्री राम जन्म योगी द्वारा शंखनाद, दुर्गा चरण और 42 कन्याओं जो रिद्धि सिद्धि के रूप में ब्राह्मणों के साथ होंगी अथवा विश्वनाथ जी के डमरू दल के 10 स्वयं सेवकों द्वारा मां भगवती की भव्य महाआरती आरंभ होगी।

15 नवंबर देव दीपावली आयोजन को इस वर्ष कारगिल विजय दिवस को पुरे हो रहे 25 वर्ष के अवसर पर शौर्य की रजत जयंती के तौर पर भी मनाया जाएगा। इस दौरान वाराणसी के सभी 84 घाट को दियों से सजाया जाएगा।

इस साल भी लाखों दीये जलाए जाएंगे और विशेष गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा। वाराणसी के लोग और दूर-दूर से आए भक्तजन इस पर्व में सम्मिलित होकर एक बार फिर वाराणसी की आध्यात्मिकता का अनुभव करेंगे।

देव दिवाली का धार्मिक महत्व

Dev Diwali Varanasi 2024: पुराणों के अनुसार, देव दिवाली का संबंध भगवान शिव और त्रिपुरासुर राक्षस का वध करने की कथा से है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर का अंत किया था, और इस अवसर पर सभी देवताओं ने खुशी मनाई थी। इसलिए इसे “देवों की दिवाली” कहा जाता है।

इस दिन देवी-देवता धरती पर आते हैं और वाराणसी के पवित्र गंगा घाटों पर उपस्थित होकर दीयों की रोशनी का आनंद लेते हैं। इसी कारण इसे विशेष रूप से वाराणसी में बहुत भव्य तरीके से मनाया जाता है।

वाराणसी में देव दिवाली का आयोजन

Dev Diwali Varanasi 2024: वाराणसी में देव दिवाली का पर्व अत्यंत विशाल और भव्य रूप में मनाया जाता है। इस दिन शहर के सभी मुख्य घाट दशाश्वमेध, अस्सी, राजेंद्र प्रसाद और मणिकर्णिका घाट दीपों से सजाए जाते हैं। हजारों की संख्या में लोग यहाँ उपस्थित होते हैं और इस पवित्र अवसर का आनंद लेते हैं। गंगा की लहरों पर दीपों का प्रतिबिंब देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो आकाश के तारे गंगा के जल में उतर आए हों।

गंगा आरती का आयोजन

Dev Diwali Varanasi 2024: देव दिवाली के दिन वाराणसी में विशेष गंगा आरती का आयोजन होता है। शाम के समय गंगा तटों पर पुजारी मंत्रोच्चार और भव्य आरती के साथ इस पर्व की शुरुआत करते हैं।

भक्तजनों के लिए यह एक आध्यात्मिक अनुभव होता है, जब शंखनाद, घंटियों की ध्वनि और मंत्रों का उच्चारण वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं। आरती के समय सैकड़ों दीये गंगा नदी में प्रवाहित किए जाते हैं, जो इस अवसर को और भी दिव्य बना देते हैं।

विशेष आतिशबाजी

Dev Diwali Varanasi 2024: आरती के बाद, एक और आकर्षण जो लोगों को इस पर्व की ओर खींचता है, वह है विशेष आतिशबाजी। रात के अंधकार में रंग-बिरंगी आतिशबाजियों से पूरा आकाश झिलमिला उठता है।

लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस अलौकिक दृश्य का आनंद लेते हैं। आतिशबाजी के इस अद्भुत नज़ारे को देखने के लिए न केवल स्थानीय लोग, बल्कि दूर-दूर से आए पर्यटक भी यहाँ इकट्ठा होते हैं।

सांस्कृतिक और पर्यटन का महत्व

Dev Diwali Varanasi 2024: हर साल इस पर्व के समय हजारों की संख्या में पर्यटक वाराणसी आते हैं। विदेशी पर्यटकों के लिए भी यह एक अनोखा अनुभव होता है, क्योंकि वे भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं को निकट से देखने का अवसर पाते हैं। इस समय वाराणसी में रहने वाले लोग अपने घरों को दीयों से सजाते हैं और पारंपरिक भोजन तैयार करते हैं, जिससे एक विशेष उत्सव का माहौल बनता है।

वाराणसी में देव दिवाली के आयोजन से स्थानीय व्यापारियों को भी लाभ होता है। होटल, रेस्तरां, और स्थानीय हस्तशिल्प विक्रेताओं को इस समय अधिक बिक्री होती है। इसके अलावा, प्रशासन द्वारा सुरक्षा और सुव्यवस्था का खास ध्यान रखा जाता है, ताकि लोग बिना किसी परेशानी के इस पर्व का आनंद ले सकें। (Dev Diwali Varanasi 2024)

देव दिवाली पर स्नान और दान का महत्व

Dev Diwali Varanasi 2024: देव दिवाली के दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सारे पाप समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भक्तजन गंगा स्नान के बाद दीपदान करते हैं और गरीबों को दान करते हैं। इस दिन अन्नदान, वस्त्रदान, और अन्य प्रकार के दानों का भी महत्व बताया गया है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है। (Dev Diwali Varanasi 2024)


2024 में Dev Diwali के इस अद्भुत पर्व का अनुभव लेने के लिए वाराणसी आने का अवश्य प्रयास करें, क्योंकि यह एक ऐसा अनुभव है जो आपकी आत्मा को शांति और मन को अद्वितीय प्रसन्नता से भर देगा। (Dev Diwali Varanasi 2024)

यह भी देखिए –

1. देव दीपावली क्या है?

देव दीपावली एक पवित्र पर्व है, जिसे कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से वाराणसी में मनाया जाता है। इस दिन को “देवताओं की दिवाली” कहा जाता है क्योंकि मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं और गंगा घाट पर दीप जलाकर इस पर्व को मनाते हैं।

2. देव दीपावली और दीपावली में क्या अंतर है?

दीपावली या दिवाली कार्तिक अमावस्या के दिन मनाई जाती है और यह पांच दिवसीय पर्व है, जिसमें लक्ष्मी पूजा प्रमुख होती है। देव दीपावली दिवाली के 15 दिन बाद, कार्तिक पूर्णिमा पर मनाई जाती है और इसे देवताओं की दिवाली कहा जाता है। इसमें मुख्य रूप से गंगा आरती, दीपदान और विशेष पूजा का आयोजन होता है, खासकर वाराणसी में।

3. देव दीपावली कब मनाई जाती है?

देव दीपावली हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। 2024 में, यह पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा।

4. देव दीपावली का आयोजन कहाँ होता है?

देव दीपावली मुख्य रूप से वाराणसी के गंगा घाटों पर आयोजित की जाती है, जैसे दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, मणिकर्णिका घाट, और राजेंद्र प्रसाद घाट। इन घाटों को लाखों दीपों से सजाया जाता है और गंगा आरती के साथ विशेष पूजा होती है।

5. देव दीपावली देखने का सबसे अच्छा समय क्या है?

देव दीपावली के मुख्य कार्यक्रम शाम के समय होते हैं, जब गंगा आरती और दीपदान का आयोजन होता है। इसलिए, सूर्यास्त के बाद घाटों पर पहुँचकर गंगा आरती और दीपों की रोशनी का भव्य नजारा देखा जा सकता है। आतिशबाजी भी रात के समय होती है, जो इसे और भी खास बनाती है।

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