Kedarnath Closing Date- केदारनाथ धाम भारत के चार धामों में से एक है और हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए यहाँ आते हैं। यहाँ स्थित केदारनाथ मंदिर के कपाट साल में कुछ समय के लिए बंद कर दिए जाते हैं और फिर अगले वर्ष गर्मियों में दुबारा खोले जाते हैं।
केदारनाथ धाम- ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
Kedarnath Closing Date- केदारनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित किया गया है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य और अलौकिक वातावरण श्रद्धालुओं को आध्यात्मिकता और शांति प्रदान करता है। यह मंदिर हिमालय की ऊँचाई पर स्थित है, जिसके कारण यहाँ सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है। इस वजह से हर साल सर्दियों की शुरुआत से पहले मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और गर्मियों में फिर से खोले जाते हैं।
केदारनाथ की यात्रा कहाँ से शुरू होती है
Kedarnath Closing Date- केदारनाथ की यात्रा की शुरुआत गौरीकुंड से होती है, जो कि सबसे नजदीकी सड़क मार्ग है। गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर की दूरी लगभग 16 किलोमीटर है और यह ट्रेक मार्ग पर श्रद्धालु पैदल, घोड़े या पालकी के माध्यम से पहुंच सकते हैं। सरकार द्वारा हेलीकॉप्टर सेवा भी प्रदान की जाती है, जिससे यात्रा को और भी आसान बनाया जा सकता है।
केदारनाथ यात्रा के कपाट
Kedarnath Closing Date- केदारनाथ मंदिर के कपाट हर साल सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं और फिर गर्मियों में अक्षय तृतीया के दिन खोले जाते हैं। कपाट बंद होने के बाद भगवान की मूर्ति को ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में ले जाया जाता है, जहाँ सर्दियों के दौरान उनकी पूजा होती है।
कौनसे दिन बंद होंगे चारों धाम के कपाट ?
Kedarnath Closing Date- बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने केदारनाथ मंदिर के साथ साथ यमुनोत्री, गंगोत्री और बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की तारीख का भी ऐलान कर दिया है। ऐसे में अब यात्रियों के पास इस साल दर्शन करने के लिए कुछ ही समय बचे हैं। अगर अभी तक केदारनाथ बाबा के दर्शन के लिए नहीं गए हैं, तो जल्दी से प्लान बना लें। क्योंकि जल्द ही मंदिर के कपाट बंद होने वाले हैं।
बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा बताया गया है कि इस साल 3 नवंबर 2024 को यानी भाईदूज के दिन सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर भक्तों के लिए kedarnath kapat close कर दिए जाएंगे। केदारनाथ धाम के बाद गंगोत्री के कपाट दिवाली के अगले दिन यानी 2 नवंबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 14 मिनट अभिजीत मुहूर्त पर बंद हो जाएंगे। वहीं यमुनोत्री के कपाट 3 नवंबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 5 मिनट भाईदूज पर बंद हो जाएंगे और बद्रीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर 2024 रात 9 बजकर 7 मिनट पर बंद हो जाएंगे।
कब खुलते है चारों धाम के कपाट ?
Kedarnath Closing Date- हर साल सर्दियों के शुरुआती महीनों में मंदिर के दरवाजे भक्तों के दर्शन के लिए 6 महीनों तक बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद यह अगले साल अप्रैल या मई के महीनों में वापस भक्तों के लिए खोले जाते हैं। यानी अब मंदिर के दरवाजे 2025 के अप्रैल या मई के महीनों में वापस खोल दिए जायेंगे। इस साल 2024 में बाबा के मंदिर के दर्शन के लिए कपाट 10 मई को खोल दिए गए थे।
केदारनाथ मंदिर बंद करने के बाद की परंपरा
Kedarnath Closing Date- सदियों पुरानी परंपरा के मुताबिक, कपाट बंद होने के बाद बाबा केदारनाथ उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मठ मंदिर के लिए रवाना होते हैं तो बाबा का रात्रि विश्राम भी तय है। पहली रात का पड़ाव रामपुर में होता है, जो लगभग 18 किलोमीटर नीचे है। बाबा की डोली को उखीमठ के युवा अपने कंधों पर लिए पैदल ही चलते हैं। बैंड साथ में होता है स्थानीय लोग नगाड़े ढोल की मधुर स्वर लहरी की गूंज के साथ जय जयकार करते साथ लेकर चलते हैं। पूरी घाटी जयकारों से गुंजामय हो जाती है। हर हर महादेव बम बम शंकर के जयकारों के साथ घाटी को गुंजामय करते हुए बाबा की डोली नीचे उतरती है।
रास्ते में पड़ने वाले गांव के लोग जब उनके गांव से डोली गुजरती है तो वह डोली की पूजा करते हैं और साथ चल रहे भक्तों का स्वागत सत्कार करते हैं। भैरव घाटी जंगल चट्टी होते हुए बाबा की डोली गौरीकुंड पहुंचती है। गौरीकुंड के स्थानीय लोग बाबा का स्वागत और पूजन करते है। साथ चल रहे लोगों का सत्कार होने के बाद डोली सोनप्रयाग होते हुए रामपुर पहुंचती है। वहां परंपरागत रूप से बाबा केदारनाथ का रात्रि विश्राम होता है।
अगले दिन सुबह बाबा की डोली गुप्तकाशी के लिए रवाना होती है। जहां-जहां बाबा का रात्रि विश्राम होता है सेवा पूजा वैसे ही चलती है जैसे मंदिर में रोजाना की दिनचर्या होती है। तीसरी सुबह गुप्तकाशी से रवाना होने के बाद डोली सीधी उखीमठ पहुंचती है। जहां अगले 6 महीनों के लिए ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा की उत्सव मूर्ति और सिंहासन अवस्थित रहते हैं।
श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश
Kedarnath Closing Date-
- कपाट बंद होने की तिथि के पहले केदारनाथ यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए जाते हैं-
- समय का ध्यान रखें: यात्रा करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आप अंतिम दर्शन से पहले केदारनाथ पहुँच सकें।
- मौसम की जानकारी रखें: नवंबर के महीने में केदारनाथ क्षेत्र में मौसम अत्यंत ठंडा होता है, इसलिए गर्म कपड़े और सुरक्षा साधन साथ में रखना आवश्यक है।
- स्वास्थ्य की जाँच: यात्रा से पहले अपने स्वास्थ्य की जाँच अवश्य कराएँ, क्योंकि यहाँ का ऊँचाई वाला क्षेत्र और ठंडी हवा कुछ लोगों के लिए समस्या उत्पन्न कर सकती है।
- सरकारी निर्देशों का पालन: प्रशासन द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें ताकि आपकी यात्रा सुरक्षित और सुखद हो सके।
Kedarnath Closing Date- केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि 2024 की जानकारी श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह उन्हें अपनी यात्रा की सही योजना बनाने और समय पर भगवान के दर्शन करने का अवसर प्रदान करती है। अगर आप भी इस वर्ष केदारनाथ धाम की यात्रा करने की सोच रहे हैं, तो जल्द से जल्द अपनी यात्रा को तय करें और मौसम तथा प्रशासनिक निर्देशों का पालन करें ताकि आपकी यात्रा सुरक्षित और सफल हो सके।
केदारनाथ की कथा क्या है
Kedarnath Closing Date- केदारनाथ धाम भगवान शिव को समर्पित है और इस मंदिर को महाभारत के काल से भी जोड़कर देखा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव की खोज की, तो भगवान शिव ने केदारनाथ में एक बैल का रूप धारण कर लिया। पांडवों ने उन्हें पहचान लिया और यहीं पर शिव ने उन्हें दर्शन दिए। इसी कारण यह स्थल अत्यधिक पवित्र माना जाता है और यहाँ की यात्रा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अन्य धार्मिक स्थल
Kedarnath Closing Date-
- गौरीकुंड: केदारनाथ यात्रा का आरंभिक बिंदु, जहाँ गौरी माता के मंदिर और गर्म पानी के कुंड स्थित हैं।
- भीमबली: केदारनाथ ट्रेक के दौरान स्थित यह स्थान अपने विशाल प्राकृतिक पुल और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
- वासुकी ताल: यह एक सुंदर झील है जो केदारनाथ से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे शिव और वासुकी नाग की कथा से जोड़ा जाता है।
यह भी देखिए –