vasubaras in hindi- वसुबारस हिंदू धर्म में विशेष रूप से महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है, जहाँ गाय को माता का दर्जा दिया जाता है और उसकी पूजा की जाती है। इस त्योहार का विशेष महत्त्व है क्योंकि यह दीवाली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत मानी जाती है।
वसुबारस का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व
vasubaras in hindi- वसुबारस का अर्थ है – ‘वसु’ यानी धन और ‘बारस’ यानी द्वादशी। इस दिन गाय और बछड़े की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में गाय को माता का स्थान दिया गया है, जिसे ‘गौ माता’ कहा जाता है। गौ माता का हिन्दू समाज में विशेष महत्व है क्योंकि गाय से दूध ही नहीं प्राप्त होता, बल्कि उसकी उपयोगिता और धार्मिक महत्ता भी गहरी होती है। गाय को समृद्धि और उन्नति का प्रतीक माना जाता है और इसलिए वसुबारस के दिन उसकी पूजा कर उसे आशीर्वाद प्राप्त करने की परंपरा है।
गौ माता केवल आर्थिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि पर्यावरण संतुलन और ग्रामीण जीवन में उसका योगदान भी अद्वितीय है। प्राचीन शास्त्रों में गौ माता की महिमा का विस्तार से उल्लेख किया गया है। वसुबारस पूजा से जुड़ी एक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने गायों की रक्षा के लिए अनेक लीलाएँ की थीं, और इसलिए उनकी पूजा करने से समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होती है।
वसुबारस 2024 मुहूर्त
vasubaras in hindi- वसुबारस का मुहूर्त हर वर्ष पंचांग के अनुसार तय होता है। वसुबारस, जिसे गोवत्स द्वादशी भी कहा जाता है, कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। वसुबारस 2024 का पर्व 29 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा।
- द्वादशी तिथि प्रारंभ: 28 अक्टूबर 2024, शाम 07:53 बजे
- द्वादशी तिथि समाप्त: 29 अक्टूबर 2024, शाम 05:04 बजे
29 अक्टूबर 2024 को सूर्योदय से लेकर तिथि समाप्ति तक पूजा का उत्तम समय रहेगा, विशेषकर प्रातःकाल पूजा करना शुभ माना जाता है। पूजा करते समय गाय और बछड़े की सेवा और परिक्रमा करने का विशेष महत्त्व है, और इस दिन व्रत रखने से भी विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
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vasubaras in hindi- वसुबारस पूजा विशेष रूप से उन परिवारों में मनाई जाती है, जिनके पास गाय होती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई की जाती है और गाय तथा उसके बछड़े को नहला कर उनकी सजावट की जाती है। उन्हें फूलों की माला पहनाई जाती है और विभिन्न रंगों से श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद उनकी पूजा की जाती है।
गाय और बछड़े को ताजे घास, गुड़ और अन्य खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है। पूजा के समय महिलाएँ विशेष रूप से व्रत रखती हैं और गाय की परिक्रमा करती हैं। इसके साथ ही वे परिवार की सुख-समृद्धि और बच्चों की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। पूजा के दौरान गाए जाने वाले मंत्रों और श्लोकों में गौ माता की महिमा का वर्णन किया जाता है। गौ माता को संतोषी माना जाता है और उनकी पूजा से परिवार में धन, धान्य, स्वास्थ्य और समृद्धि का वास होता है।
पर्यावरण और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्त्व
vasubaras in hindi- वसुबारस का पर्व केवल धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नहि है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण समाज के जीवन का प्रतीक भी है। गाय को भारतीय कृषि प्रणाली का अभिन्न हिस्सा माना जाता है। इसके बिना खेती की कल्पना नहीं की जा सकती। गाय के गोबर का उपयोग खेती के लिए जैविक खाद के रूप में होता है, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है। इसके अलावा, गोमूत्र का उपयोग भी आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है।
आज के युग में जब पर्यावरणीय संकट बढ़ रहा है, तब गौ माता की पूजा और उसका संरक्षण विशेष महत्त्व रखता है। गौ माता न केवल कृषि और पर्यावरण के लिए आवश्यक है, बल्कि ग्रामीण जीवन में उसकी भूमिका भी अतुलनीय है। वसुबारस जैसे त्योहार हमें इस दिशा में जागरूकता फैलाने का अवसर देते हैं, ताकि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को समझ सकें और उसका सम्मान कर सकें।
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आधुनिक युग में वसुबारस का महत्त्व
vasubaras in hindi- आज के आधुनिक जीवन में जहाँ लोग अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं, वसुबारस जैसे पर्व हमें प्रकृति, पशुओं और पारंपरिक मूल्यों के प्रति जागरूक करते हैं। विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में जहाँ लोग प्रकृति से दूर हो गए हैं, वसुबारस हमें धरती माँ और गौ माता के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाता है। गायों का संरक्षण और उनकी पूजा हमें सिखाती है कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करना चाहिए और उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए।
वर्तमान में, जहाँ औद्योगिकरण और शहरीकरण ने पशुधन और कृषि पर विपरीत प्रभाव डाला है, वसुबारस हमें यह सिखाता है कि गौ माता का संरक्षण हमारे अस्तित्व और समृद्धि के लिए आवश्यक है।
वसुबारस के साथ जुड़ी लोक मान्यताएँ
vasubaras in hindi- वसुबारस से जुड़ी कई लोक मान्यताएँ भी हैं। मान्यता है कि जो महिलाएँ इस दिन व्रत रखकर गौ माता की पूजा करती हैं, उनके घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और उनके बच्चों की दीर्घायु होती है। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि इस दिन गाय और उसके बछड़े को अच्छे से पूजने और उनकी सेवा करने से जीवन में किसी भी प्रकार की आर्थिक कठिनाई नहीं आती।
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