Kojagiri Purnima In Hindi- चंद्रमा और देवी लक्ष्मी का विशेष संबंध कोजागिरी पूर्णिमा जिसे ‘शरद पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह अश्विन माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। साल 2024 में कोजागिरी पूर्णिमा 17 अक्टूबर, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।
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kojagiri purnima in hindi- कोजागिरी/शरद पूर्णिमा को धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और जागरण करने वाले भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, जिससे स्वास्थ्य और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
इस पर्व का नाम ‘कोजागिरी’ इसीलिए पड़ा क्योंकि कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी रात में यह जानने के लिए भ्रमण करती हैं कि कौन जाग रहा है। जो लोग इस रात जागरण करते हैं, देवी लक्ष्मी उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं। इसीलिए इसे “को-जागृति” से “कोजागिरी” नाम मिला है।
Sharad Purnima ki kahani
kojagiri purnima in hindi- कोजागिरी/शरद पूर्णिमा से कई रोचक पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जो इस पर्व की महत्ता को और बढ़ाती हैं। इनमें से एक प्रमुख कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नी बहुत दरिद्रता में जीवन व्यतीत कर रहे थे। वे दिन-रात कठिनाईयों का सामना कर रहे थे।
एक दिन ब्राह्मण की पत्नी ने कोजागिरी पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी का जागरण करने का निर्णय लिया। उसने पूरी रात जागकर देवी लक्ष्मी की पूजा की। प्रसन्न होकर देवी लक्ष्मी ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनकी दरिद्रता को दूर कर दिया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि जो लोग इस रात जागरण करते हैं, उनके जीवन से दरिद्रता समाप्त हो जाती है और उनके घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
एक अन्य कथा भगवान कृष्ण और गोपियों से संबंधित है। शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ महा रासलीला रचाई थी। ऐसा कहा जाता है कि उस दिन चंद्रमा ने भी अपनी सम्पूर्ण आभा के साथ भगवान कृष्ण और गोपियों के इस दिव्य रास को देखा था। इस कथा के कारण शरद पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व है, और इसे प्रेम और भक्ति का पर्व भी माना जाता है।
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kojagiri purnima in hindi- व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और वहां पर देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। यह संकल्प लिया जाता है कि दिन भर व्रत रखा जाएगा और रात को देवी लक्ष्मी की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। पूजा के लिए विशेष रूप से खीर तैयार की जाती है। इस खीर को चंद्रमा की किरणों में रखा जाता है, ताकि वह अमृतमय हो जाए। पूजा स्थल पर दीपक जलाएं और देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की मूर्ति की आराधना करें।
शाम को देवी लक्ष्मी की पूजा करें। पूजा में फल, फूल, खीर, चावल और अन्य सामग्री का उपयोग करें। लक्ष्मी माता की आरती करें और धन-धान्य की कामना करें। पूजा के दौरान लक्ष्मी चालीसा और लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ भी करें। रात को चंद्रमा के उदय होने के बाद उन्हें अर्घ्य अर्पित करें। यह अर्घ्य चांदी के बर्तन में जल, खीर और चावल डालकर दिया जाता है। चंद्रमा की किरणें इस दिन अत्यंत पवित्र मानी जाती हैं, इसलिए उन्हें देखना और अर्घ्य देना शुभ माना जाता है।
कोजागिरी पूर्णिमा के व्रत में रात भर जागरण करने की परंपरा है। इस दौरान देवी लक्ष्मी की आराधना, भजन-कीर्तन और ध्यान किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो इस रात जागता है, उसे देवी लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद मिलता है। चंद्रमा की किरणों में रखी खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस खीर को अमृत तुल्य माना जाता है और इसके सेवन से शरीर को ऊर्जा और मानसिक शांति मिलती है। धार्मिक दृष्टिकोण से, यह व्रत देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
कोजागिरी पूर्णिमा का वैज्ञानिक पक्ष
kojagiri purnima in hindi- जहां कोजागिरी पूर्णिमा का धार्मिक और पौराणिक महत्व है, वहीं इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। चंद्रमा को आयुर्वेद में औषधियों का देवता माना गया है। चंद्रमा की किरणें मनुष्य के शरीर और मन पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। शरद ऋतु में रात के समय ठंडक होती है, और इस ठंडक से शरीर को लाभ मिलता है। चंद्रमा की रोशनी से औषधीय गुणों का संचय होता है, और यह खीर या दूध में मिलकर स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।
इसके अलावा, फसलों के लिए भी शरद पूर्णिमा का महत्त्व है। यह समय फसलों के पकने का होता है, और चंद्रमा की रोशनी से फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है। किसान इस दिन विशेष उत्साह से चंद्रमा की पूजा करते हैं और अपनी फसलों के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
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कोजागिरी पूर्णिमा एक ऐसा पर्व है जो भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और वैज्ञानिकता का अद्वितीय संगम है। यह दिन केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह सामाजिक मेलजोल और उत्सव का भी प्रतीक है। इस दिन देवी लक्ष्मी की आराधना, चंद्रमा की पूजा और खीर का प्रसाद इन सभी परंपराओं के पीछे गहरे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हैं। 2024 में आने वाली कोजागिरी पूर्णिमा के अवसर पर हम सभी को देवी लक्ष्मी और चंद्रमा से समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति की कामना करनी चाहिए।
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